Uttar Pradesh

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती लमही में मनेगी,दो दिवसीय समारोह में हाेगा विशेष व्याख्यान

— कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कला संकाय ने आयोजन समिति गठित की

वाराणसी,25 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का कला संकाय कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती 30 और 31 जुलाई को उत्साह के साथ मनाने की तैयारी में है। इसके लिए शुक्रवार को कला संकाय प्रमुख प्रोफेसर सुषमा घिल्डियाल ने कथा सम्राट के पैतृक गांव लमही स्थित शोध केंद्र में होने वाली वार्षिक गतिविधियों का कैलेंडर जारी किया। इसके बाद साल भर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और गतिविधियों के संदर्भ में सदस्यों के साथ विस्तार से चर्चा हुई।

प्रो. सुषमा घिल्डियाल ने बताया कि हमारी भाषा के महान साहित्यकार प्रेमचंद की कर्म स्थली बनारस है। हमारे लिए गौरव का विषय है कि उनकी जन्म स्थली लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद शोध एवं अध्ययन केंद्र के संचालन का दायित्व कला संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पास है। उन्होंने बताया कि मुंशी प्रेमचंद की जन्म जयंती के अवसर पर 30 और 31 जुलाई को दो दिवसीय समारोह लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद शोध एवं अध्ययन केंद्र में मनाया जाएगा। इस आयोजन में विशेष व्याख्यान, नाट्य प्रस्तुति और महाविद्यालय व विद्यालय के छात्रों की प्रेमचंद साहित्य पर आधारित निबंध, क्विज़ और चित्रकला प्रतियोगितायें आयोजित होंगी। प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित इन कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कला संकाय द्वारा एक आयोजन समिति गठित की गई है। जिसके समन्वयक हिंदी विभाग के आचार्य प्रोफेसर नीरज खरे होंगे। साथ ही उनके साथ शिक्षकों की एक टीम भी कार्य करेगी।

इस मौके पर कार्यक्रम समन्वयक प्रो. नीरज खरे ने बताया कि 31 जुलाई के मुख्य कार्यक्रम में ‘प्रेमचन्द के सपनों का भारत’ विषय पर हिंदी की कथा आलोचक प्रो. रोहणी अग्रवाल मुख्य वक्तव्य देंगी। हिंदी विभाग बीएचयू के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सदानंद शाही विशिष्ट वक्ता होंगे। अध्यक्षता कला संकाय प्रमुख प्रो. सुषमा घिल्डियाल करेंगी। इस अवसर पर रवि राय के निर्देशन में प्रेमचंद की कहानी ‘बड़े भाईसाहब’ का नाट्य मंचन भी किया जाएगा। जयंती के एक दिन पूर्व 30 जुलाई को स्कूलों और कालेज के छात्र-छात्राओं के लिए निबंध, साहित्य प्रश्नोत्तरी और चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। चयनित प्रतिभागियों को जयंती समारोह के मुख्य कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा पुरस्कृत भी किया जाएगा। इन प्रतियोगिताओं का उद्देश्य नई पीढ़ी की साहित्यिक-सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना विस्तार के लिए प्रेमचंद के लेखन और मूल्यों से जोड़ना और परिचित कराना है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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