


गोरखपुर, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । गंगोत्री देवी महिला महाविद्यालय एवं स्कूल ऑफ नर्सिंग, अलहदादपुर में आयोजित विशेष कैरियर ओरिएंटेशन कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं मोटिवेशनल स्पीकर शैलेश त्रिपाठी ‘मोबाइल बाबा’ ने छात्राओं को संबोधित करते हुए ऐसा प्रेरक व्याख्यान दिया, जो केवल भाषण नहीं था, बल्कि आत्मबोध और जीवन-दर्शन का जीवंत पाठ बन गया। हँसते – हँसते जीना सीखो विषय पर आधारित यह सत्र हँसी, व्यंग्य, यथार्थ और आत्मबल का अद्भुत संगम था।
श्री त्रिपाठी ने कहा— बेटियों, आज मैं यहाँ भाषण देने नहीं, तुम्हारे भीतर छिपे आत्मबल को जगाने आया हूँ। और विश्वास मानो, यह भाषण नहीं है—यह तुम्हारे जीवन की किताब का वह पन्ना है, जिसे तुमने अब तक पलटा ही नहीं था। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें करियर बनाने से पहले खुद को समझना चाहिए, क्योंकि यदि हम स्वयं को नहीं पहचान पाए, तो कोई भी डिग्री हमें संपूर्ण नहीं बना सकती। उन्होंने अपने चिरपरिचित व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा— बीए करो, एमए करो, फिर बर्तन धोते हुए सोचो कि इतिहास क्यों लिया! यह सुनते ही पूरा सभागार तालियों और ठहाकों से गूंज उठा, लेकिन साथ ही गहराई से सोचने पर भी विवश हुआ।
श्री त्रिपाठी ने आगे कहा— आज की दुनिया में करियर सिर्फ डिग्री से नहीं बनता, दिशा से बनता है। और दिशा वहीं मिलती है, जहाँ निर्णय तुम्हारा होता है। अगर तुमने ‘लोग क्या कहेंगे’ से डरना बंद कर दिया, तो तुम्हारे निर्णयों में क्रांति होगी। उन्होंने बेटियों को अपने आत्मविश्वास की शक्ति को पहचानने का आह्वान करते हुए कहा— तुम सिर्फ बेटी नहीं हो, तुम समाज के भविष्य की नींव हो। इसलिए अब मोबाइल पर रील बनाना छोड़ो और अपने जीवन को रीयल बनाओ। क्योंकि कैरियर वही है जिसमें तुम खुद को खोओ नहीं, बल्कि खुद को पाओ। उन्होंने कहा— हर लड़की को दो लड़ाइयाँ लड़नी पड़ती हैं—एक दुनिया से, और एक खुद से। लेकिन जिसने खुद से जीत ली, उसे दुनिया जीतने से कोई नहीं रोक सकता।
अपने व्याख्यान के अंतिम अंश में उन्होंने अत्यंत प्रेरणादायक शब्दों में कहा— तुम कविता की पंक्ति हो, तुम बदलाव की भूमिका हो। तुम सिर्फ बेटी नहीं, तुम क्रांति की चिंगारी हो। इसलिए जब कोई कहे — ‘तुमसे नहीं होगा…’, तो दिल में कहना — ‘अब देख, मोबाइल बाबा ने क्या आग जलाई है!’
कार्यक्रम के दौरान शैलेश त्रिपाठी को संस्थान की ओर से स्मृति-चिह्न, अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। संयोजिका रीना त्रिपाठी ने कहा कि यह व्याख्यान छात्राओं के लिए केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक जीवन-परिवर्तनकारी अनुभव था। व्यवस्थापक आशुतोष मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि गंगोत्री देवी संस्थान केवल पाठ्यक्रम की शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भीतर आत्मविश्वास और सामाजिक चेतना का संचार भी कर रहा है।
कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर पूनम शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में संस्थान के समस्त शिक्षकगण, स्टाफ सदस्य एवं बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित रहीं। आयोजन अत्यंत गरिमामय, प्रेरणादायी और ऊर्जावान वातावरण में संपन्न हुआ, जिसकी स्मृति छात्राओं के मन-मस्तिष्क में लंबे समय तक बनी रहेगी।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
