
नई दिल्ली, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 1984 भोपाल गैस त्रासदी मामले के गंभीर पीड़ितों को कम राहत देने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता संगठनों से कहा कि वे उच्च न्यायालय जाएं।
याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि जो लोग इस घटना में गंभीर रुप से घायल हुए थे, उन्हें अस्थायी विकलांगता के रुप में वर्गीकृत किया गया, जिसकी वजह से पीड़ितों को मुआवजा कम मिला। तब न्यायालय ने कहा कि क्या वे इस बात के विशेषज्ञ हैं कि किस पीड़ित का वर्गीकरण किस वर्ग में किया गया।
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। 1989 में हुए समझौते के समय 715 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था। केंद्र सरकार ने 2010 में अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। भोपाल की अदालत ने 7 जून, 2010 को यूनियन कार्बाइड के 7 अधिकारियों को दो साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन मुख्य आरोपित था।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
