Assam

गालो वेलफेयर सोसाइटी ने कचरा खाने से मिथुन की मौत का लगाया आरोप

इटानगर, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिला इकाई, गालो वेलफेयर सोसाइटी ने बारारुपुक-I में खुले में कचरा फेंकने पर चिंता जताई है और आरोप लगाया है कि इससे क्षेत्र के सांस्कृतिक रूप से पूजनीय अर्ध-पालतू गोजातीय पशु मिथुन की मौत हो रही है। सोसाइटी का कहना है कि इलाके में तैनात सुरक्षा बल द्वारा भी खुले में कचरा फेंके जाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

बुधवार को मारो सर्किल अधिकारी को सौंपे गए एक औपचारिक ज्ञापन में, समाज ने सुरक्षा बल पर अपने शिविर के पास एक बिना बाड़ वाले क्षेत्र में प्लास्टिक, खाद्य अपशिष्ट और अन्य खतरनाक सामग्रियों का फेंकने का आरोप लगाया है, जहां मिथुन आमतौर पर चारा चरने के लिए आते हैं।

ये जानवर न केवल स्थानीय आजीविका के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के स्वदेशी समुदायों के बीच पवित्र और औपचारिक महत्व भी रखते हैं।

सोसाइटी का दावा है कि हाल के महीनों में गैर-जैवनिम्नीकरणीय कचरे को खाने से आंतों में रुकावट के कारण कई मिथुन की मौत हो गई है। पशु चिकित्सा जांच में कथित तौर पर मृत पशुओं के पेट में प्लास्टिक और हानिकारक कचरा पाया गया। ऐसी स्थिति इस क्षेत्र में सेना की स्थापना से पहले कभी नहीं देखी गई थी।

गालो वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव दामिक गेमे ने कहा, मारो और बारारुपुक गांवों के किसान सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। यह सिर्फ़ एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आर्थिक त्रासदी है।

उन्होंने आग्रह किया कि वह खुले में कूड़ा फेंकने की प्रथा को तुरंत बंद करे, एक बाड़बंद कचरा निपटान स्थल का निर्माण करे, निपटान से पहले खाने योग्य और अखाद्य कचरे को अलग करे, एक स्थायी कचरा प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करें।

सोसाइटी ने सुरक्षा बल और स्थानीय निवासियों के बीच बातचीत में मध्यस्थता के लिए सर्कल अधिकारी के हस्तक्षेप की भी मांग की, क्योंकि सुरक्षा बल के क्षेत्रों में सीमित पहुंच के कारण जनता की भागीदारी सीमित हो जाती है।

महासचिव ने कहा, समय पर नागरिक कार्रवाई हमारे पवित्र जानवरों को और अधिक नुकसान से बचा सकती है और सद्भाव बनाए रख सकती है।

(Udaipur Kiran) / तागू निन्गी

Most Popular

To Top