West Bengal

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘चुप्पी’ पर कांग्रेस का संदेह, बंगाल से पलायन रोकने के ठोस उपायों की मांग

ममता बनर्जी की 'चुप्पी' पर कांग्रेस का संदेह

कोलकाता, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस की 21 जुलाई की वार्षिक ‘शहीद दिवस’ रैली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी को लेकर बंगाल कांग्रेस नेताओं में हलचल है। इस बार ममता ने अपने भाषण में न तो कांग्रेस पर हमला बोला और न ही उसे भाजपा व माकपा के साथ एक ही पंक्ति में रखा, जैसा वह 2024 के लोकसभा चुनाव तक करती रही थीं। कांग्रेस नेताओं ने इसे प्रारंभिक दोस्ताना संकेत माना है, लेकिन साथ ही वे इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर रहे।

हालांकि ममता बनर्जी ने भाजपा और माकपा पर तीखा हमला बोला और बंगालियों पर भाजपा शासित राज्यों में हो रहे कथित उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन की घोषणा भी की, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इस आह्वान को लेकर भी सतर्क रुख अपनाया है। उनका कहना है कि ममता सरकार को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि बंगाल से प्रतिभा पलायन और श्रमिकों के बाहर जाने की समस्या को रोकने के लिए वह क्या ठोस कदम उठा रही है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री की चुप्पी से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के प्रति उनका रुख क्या है। यह भी बताना चाहिए कि गोवा और त्रिपुरा जैसे राज्यों में तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए कैसे विपक्षी मतों को विभाजित किया।

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पांच बार के लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी ममता की चुप्पी को निरर्थक बताया। उन्होंने कहा कि अतीत में कई बार ममता बनर्जी ने साबित किया है कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता सौम्य आइच रॉय ने ममता बनर्जी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमने भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों के उत्पीड़न की खुलकर निंदा की है और विरोध भी जताया है, लेकिन मुख्यमंत्री से सवाल है कि उनकी सरकार इस पलायन को रोकने के लिए कौन-से सकारात्मक कदम उठा रही है?

रॉय ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी भाषण में ‘भाषा आंदोलन’ का हवाला देकर बंगाली भावना को भुनाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इसका हल लोगों को रोजगार देना है ताकि वे अन्य राज्यों में पलायन न करें।

कुल मिलाकर, कांग्रेस नेताओं ने ममता बनर्जी की रैली में कांग्रेस को लेकर आई ‘चुप्पी’ को रणनीतिक बताया है, लेकिन भरोसे से पहले उनके अगले कदम का इंतजार करने का संकेत भी दिया है। 2026 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने में यह ‘चुप्पी’ निर्णायक साबित हो सकती है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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