CRIME

लखनऊ : फर्जी बेटिंग गेमिंग से ठगी करने वाले गिरोह के 16 अपराधी गिरफ्तार

पकड़े गए अभियुक्त

— अभियुक्तों से 1 करोड़ 7 लाख 50 हजार कैश बरामद

लखनऊ, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुडम्बा थाना पुलिस और क्राइम टीम (पूर्वी जोन) की संयुक्त टीम ने फर्जी बेटिंग गेमिंग के माध्यम से साइबर ठगी करने वाले गिरोह की खुलासा करते हुए 16 शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। पुलिस आयुक्त ने गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम का एक लाख रूपये के पुरस्कार की घोषणा की हैं।

पुलिस आयुक्त अमरेंद्र कुमार सेंगर ने बताया कि थाना गुडम्बा पुलिस को सूचना प्राप्त हुई कि स्मृति अपार्टमेन्ट में कुछ लड़के संदिग्ध रूप से रहते हैं, जिनके पास काफी संख्या में मोबाइल, लैपटॉप आदि चीजें हैं। यहां से कोई गतिविधि हो रही है। मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस क्राइम टीम पूर्वी जोन स्मृति अपार्टमेन्ट में फ्लैट नं. 403 में छापा मारा। यहां से 16 लड़कों काे गिरफ्तार करते हुए उनके पास से तीन लैपटाप, नोट गिनने वाली दो मशीन 79 एटीएम कार्ड और एक करोड़ सात लाख पचास हजार रूपये नकद व टोकन में प्रयोग करने वाले पुराने नोट (रू. 5 के 9 पुराने नोट, 10 के 9 नोट, रू 1 के 6 नोट रूपये) बरामद हुए।

पुलिस आयुक्त ने बताया कि पकड़े गए अभियुक्तों में छत्तीसगढ़ निवासी प्रमोद साहू, साजिद अंसारी, खेमेंद्र साहू, सोहैल अशरफ खान, टिकैश कुमार यादव, सचिन कुमार गुप्ता, अभय मिश्रा, अंश शर्मा, शंकर बाग, विनायक चौहान, मोहन सिंह और विजय साहनी और गुजरात का रहने वाला राकेश कुमार, राकेश प्रहलाद, गोविंद भाई मंगलदास, गोविंद भाई शामिल हैं।

पूछताछ पर अभियुक्तों ने बताया कि वे लोग ऑनलाइन अवैध लोटस गेमिंग साइड के माध्यम से ऑनलाइन बेटिंग गेम खेलने का प्लेटफार्म देते हैं। गेम खेलने के लिए जो पैसा प्लेयर जमा करता है उसे रेन्ट पर लिए हुए खातों में प्राप्त करते है तथा ऑनलाइन ही उक्त गेमिंग साइड के संचालक को भेजते हैं। खाते ब्लॉक न हो जाएं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा एमाउण्ट एटीएम के माध्यम से निकाल कर रख लेते हैं। इनके पास से मिले गेमिंग साइड के संचालक एवं रेन्ट पर खाते देने वालों के मोबाइल नम्बर आदि से अन्य लोगों के बारे में जानकारी की जा रही है।

अभियुक्तों से पता चला है कि आर्थिक लाभ के लिए बेटिंग ऐप व अन्य आनलाइन ऐप के माध्यम से विभिन्न राज्यां के लोगों से साइबर ठगी का अपराध किया जाता है। गिरोह में शामिल लोगां का अलग-अलग दायित्व है। गिरोह के कुछ अपराधियों ने विभिन्न खातों में फर्जी खुलवाये गये खातों में अन्य कुछ सदस्यों द्वारा बहुत सारे खातों में आनलाइन ट्रान्सफर किया जाता है ताकि पुलिस से बच सकें। एटीएम के जरिए रूपये की निकासी कर कैश के माध्यम से आदान-प्रदान किया जाता है।

(Udaipur Kiran) / दीपक

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