Haryana

हिसार : उत्पाद विकास में समय लगाने से पहले आवश्यकताओं को समझना आवश्यक : सौरभ कालरा

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण एवं प्रतिभागी।

एचएसबी में नवाचार और उद्यमिता पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन ग्राहक खोज और लीन स्टार्टअप रणनीतियों पर केंद्रित सत्र आयोजितहिसार, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस (एचएसबी) में चल रहे नवाचार एवं उद्यमिता पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) के दूसरे दिन व्हाइट रॉक कंसल्टारे के फाउंडर एवं सीईओ सौरभ कालरा द्वारा एक अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम, शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ (एमआईसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों को नवाचार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और उपकरणों से सशक्त करना है।प्रख्यात स्टार्टअप मेंटर एवं नवाचार रणनीतिकार सौरभ कालरा ने बुधवार काे ‘ग्राहक खोज, मूल्य प्रस्ताव और लीन स्टार्टअप दृष्टिकोण’ विषय पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि अधिकांश स्टार्टअप इसलिए असफल होते हैं क्योंकि वे उन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं जो वास्तव में ग्राहकों के लिए समस्याएं नहीं होतीं। इसलिए, उत्पाद विकास में समय और संसाधन लगाने से पहले, वास्तविक ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझना अत्यंत आवश्यक है।अपने सत्र में उन्होंने लीन स्टार्टअप पद्धति के प्रमुख सिद्धांतों-बिल्ड-मेजर-लर्न फीडबैक लूप, न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) और ग्राहक प्रतिक्रियाओं पर आधारित पुनरावृत्ति (ईट्रेशन) पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने वैल्यू प्रोपोजिशन केनवेस और बिजनेस मॉडल केनवेस जैसे उपयोगी उपकरणों को भी प्रस्तुत किया, जिनके माध्यम से व्यवसाय अपने प्रस्तावों को ग्राहकों की आवश्यकताओं के साथ प्रभावी ढंग से संरेखित कर सकते हैं।यह सत्र संवादात्मक शैली में आयोजित हुआ, जिसमें केस स्टडी, वास्तविक उदाहरणों और व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को सक्रिय रूप से शामिल किया गया। प्रतिभागी संकाय सदस्यों ने लीन इनोवेशन के सिद्धांतों को उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों को नवाचार व उद्यमिता की दिशा में मार्गदर्शन देने से जोड़ते हुए विचार साझा किए।कालरा के व्यावहारिक अनुभव, सहज प्रस्तुतीकरण और गहन समझ ने प्रतिभागियों को प्रेरित किया। प्रतिभागियों ने नवाचार को प्रोत्साहित करने, छात्रों की सोच को उद्यमिता की दिशा में मोड़ने और शैक्षणिक संस्थानों में स्टार्टअप संस्कृति विकसित करने के लिए इस सत्र को अत्यंत उपयोगी बताया।कार्यक्रम के आगामी दिनों में भी विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा ज्ञानवर्धक सत्र, कार्यशालाएं एवं व्यावहारिक अभ्यास आयोजित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार एवं उद्यमशीलता की संस्कृति को सुदृढ़ करना है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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