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सिराज में एक हजार करोड़ का नुकसान, राहत की बजाय जख्म दे रही प्रदेश सरकार : जयराम ठाकुर

जयराम ठाकुर की प्रेस वार्ता

शिमला, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में 30 जून की रात आई भीषण मानसूनी आपदा के बाद मंडी जिले के सिराज विधानसभा क्षेत्र में हालात अब भी खराब बने हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सिराज क्षेत्र में एक हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ, लेकिन प्रदेश सरकार संवेदनहीन रवैया अपनाए हुए है और अब तक कोई ठोस राहत कार्य नहीं कर पाई।

जयराम ठाकुर ने कहा कि 20 दिन बीतने के बाद भी सिराज के कई गांवों में लोग अस्थाई आश्रयों में रह रहे हैं। 42 पंचायतों के 30 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। क्षेत्र में बिजली, पानी और सड़कें अब तक बहाल नहीं हो पाईं, सेब की फसल खेतों में खड़ी है, लेकिन सड़कों के बंद होने के कारण बाजार तक पहुंचना असंभव हो गया है। अकेले जल शक्ति विभाग की 260 में से 240 पेयजल योजनाएं ठप्प हैं। सिराज का शरण गांव पूरी तरह से खत्म हो गया, बगस्याड और सुराह जैसे गांवों में पहुंचना भी मुश्किल है। थुनाग में 200 दुकानें ध्वस्त हो गई हैं, जबकि 500 मकान पूरी तरह और 700 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।

जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि त्रासदी के बहाने सरकार मंडी से संस्थानों को शिफ्ट करने की साजिश कर रही है। हाल ही में मुझे पंचायती राज मंत्री का फोन आया और उन्होंने मंडी स्थित पंचायती राज इंस्टीट्यूट को अन्यत्र शिफ्ट करने की बात कही, जबकि इस भवन को आपदा में कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसी तरह हमारी सरकार द्वारा स्वीकृत हॉर्टिकल्चर कॉलेज, जिसके लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, उसकी राशि भी मुख्यमंत्री ने वापस मंगवा ली। अगर यह कॉलेज बन गया होता तो आज वहां सैकड़ों लोगों को शरण मिल सकती थी।

उन्हाेंने कहा कि मुख्यमंत्री 9 दिन बाद त्रासदी क्षेत्र में पहुंचे और केवल एक करोड़ की राहत राशि की घोषणा करके लौट आए जबकि असली नुकसान 500 करोड़ से भी अधिक का है। मुख्यमंत्री बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन स्पेशल पैकेज की अधिसूचना अब तक जारी नहीं की। एक घर क्षतिग्रस्त होने पर सात लाख की राहत का प्रावधान है, जिसमें से चार लाख प्रदेश और तीन लाख केंद्र देता है, लेकिन वह भी अभी तक नहीं मिला।

उन्हाेंने कहा कि सरकार ने फौरी राहत के नाम पर केवल 2500 रुपये दिए। जबकि समाजसेवी संस्थाओं और भाजपा कार्यकर्ताओं ने अब तक सात करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी है। यह वक्त राजनीति का नहीं है। सरकार को तुरंत भूमि चिह्नित कर आपदा प्रभावितों के लिए कम्युनिटी सेंटर, शौचालय और किचन जैसी सुविधाएं बनानी चाहिए। राहत और पुनर्वास कार्य धीमी गति से हो रहे हैं। ‘सरकार कितनी जेसीबी मशीनें राहत कार्य में लगी हैं, बस उनकी गिनती करने में व्यस्त है। प्रभावित इलाकों में आज भी लोगों को पैदल चलने तक का रास्ता नहीं है।

उन्हाेंने आरोप लगाया कि त्रासदी मेरे निर्वाचन क्षेत्र सिराज में आई है, इसलिए सरकार मदद नहीं कर रही। अगर शिमला में नुकसान हुआ तो क्या राजधानी भी बदल देंगे? कहा कि सरकार ने मंडी में अब तक कोई वरिष्ठ अधिकारी तैनात नहीं किया और जमीन पर राहत कार्य पटवारियों के भरोसे छोड़ दिए हैं।

जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम ने मुझसे कहा था कि मैं 10 दिन मंडी में रहूं जबकि मैं 20 दिन से मंडी में हूं, वहां के लोगों के दर्द को अच्छी तरह जानता हूं। उन्होंने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के बयानों को गैर-जिम्मेदार करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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