West Bengal

स्कूलों में बच्चों को जबरन उर्दू पढ़ा रही है ममता सरकार – शुभेंदु

शुभेंदु अधिकारी

कोलकाता, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि तृणमूल सरकार अब बंगाली समाज के पारंपरिक पारिवारिक रिश्तों की परिभाषा को बदलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इसे मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करार दिया और दावा किया कि यह बंगाली संस्कृति की पहचान पर सीधा हमला है।

शनिवार को सोशल मीडिया पर कांथी के किशोरनगर प्राथमिक विद्यालय की तीसरी कक्षा के प्रश्न पत्र की तस्वीर साझा करते हुए अधिकारी ने लिखा कि राज्य सरकार अब स्कूली शिक्षा के ज़रिए बच्चों के मस्तिष्क में सांप्रदायिक सोच भर रही है। प्रश्न पत्र में ‘अब्बा के भाई को क्या कहते हैं’, ‘चाचा की पत्नी को क्या कहते हैं’ और ‘अम्मा की बहन को क्या कहते हैं’ जैसे सवाल शामिल हैं। शुभेंदु ने इन शब्दों को गैर-बंगाली और सांप्रदायिक शब्दावली बताते हुए कहा कि मां को अब अम्मा कहा जा रहा है, और आसमानी जैसे शब्द जबरन पढ़ाए जा रहे हैं।

अधिकारी का आरोप है कि ममता सरकार एक खास समुदाय को खुश करने के लिए पारिवारिक संबोधनों तक में बदलाव कर रही है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे आज तक ‘रंगधनु’ और ‘आकाशी’ जैसे शब्दों से परिचित थे, उन्हें अब ‘आसमानी’ और ‘रौशनी’ जैसी शब्दावली सिखाई जा रही है। यह तृणमूल की भाषा और संस्कृति की राजनीति का खतरनाक नमूना है।

बंगाल की शिक्षा व्यवस्था पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के स्कूलों में अब उन क्रांतिकारियों को आतंकवादी बताकर पढ़ाया जा रहा है जिन्होंने देश को आज़ाद कराने में भूमिका निभाई थी। उन्होंने ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद नई-नई शब्दावली गढ़ने में माहिर हैं और यह उनके ‘राजनीतिक बंगाल प्रेम’ का हिस्सा है, जिसमें असल में कोई संवेदनशीलता नहीं है।

भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि शिक्षा विभाग के ज़रिए तृणमूल सरकार बच्चों की चेतना में वोटबैंक की राजनीति का ज़हर घोल रही है। शुभेंदु ने चेताया कि यह न केवल बंगाली संस्कृति बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है।

हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल की शिक्षा नीति या राज्य सरकार पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया हो। लेकिन इस बार मामला उनकी खुद की जन्मभूमि कांथी से जुड़ा होने के कारण उन्होंने इस पर विशेष आपत्ति जताई है। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे तृणमूल सरकार के ऐसे कदमों के खिलाफ आवाज़ उठाएं और इसे रोकें।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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