
– दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस चौकी जलमग्न, अस्सीघाट पर गलियों में गंगा आरती
वाराणसी, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। शनिवार शाम चार बजे तक जलस्तर 69.96 मीटर तक पहुंच गया, जो चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से बेहद करीब है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार खतरे का निशान 71.262 मीटर है। वर्तमान में गंगा का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा की गति से बढ़ रहा है। वर्ष 1978 में गंगा का सर्वाधिक जलस्तर 73.90 मीटर रिकॉर्ड किया गया था।
तेजी से बढ़ते जलस्तर ने वाराणसी के सभी 84 घाटों को जलमग्न कर दिया है, जिससे जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। निचले इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस चौकी पूरी तरह डूब चुकी है और अस्सी घाट पर गलियों में गंगा आरती की जा रही है।
शहर के मोहल्ले और गांव जलमग्न, सैकड़ों परिवार विस्थापित
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार बाढ़ से सदर तहसील का रामपुर ढाब गांव, और शहरी क्षेत्र के छह वार्ड- सलारपुर, सरैया, नक्खीघाट, ढेलवरिया, दनियालपुर और हूकुलगंज प्रभावित हैं। अब तक 142 परिवार विस्थापित हुए हैं। इनमें से 65 परिवार राहत शिविरों में और 74 परिवार अन्य सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं। कुल 727 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
जिले में 46 राहत शिविर चिह्नित किए गए हैं, जिनमें 07 शिविर सक्रिय हैं। इनमें प्राथमिक विद्यालय सलारपुर, प्राथमिक विद्यालय सरैया, मदरसा बटलोहिया, नक्खीघाट का कान्वेंट स्कूल, नवोदय विद्यालय दनियालपुर, राम जानकी मंदिर ढेलवरिया और दीप्ती कान्वेंट स्कूल हूकुलगंज शामिल हैं।
शनिवार को प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 10 नावों के जरिए 582 लंच पैकेट, फल, दूध व ओआरएस वितरित किए गए, साथ ही 34 मरीजों का उपचार भी किया गया।
—सहायता के लिए नियंत्रण कक्ष के नंबर:
0542-2508550, 2504170, 9140037137
—मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार में बाधा
गंगा के उफान के चलते मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका घाट का निचला शवदाह प्लेटफॉर्म पूरी तरह डूब गया है। शवयात्रियों को बाढ़ का पानी पार कर ऊपरी प्लेटफॉर्म तक जाना पड़ रहा है। वहीं हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह किया जा रहा है। जगह की कमी के कारण शव यात्रियों को अपने मृत परिजन के अंतिम संस्कार के लिए 2-3 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।
गंगा आरती अब छतों और गलियों में
दशाश्वमेध घाट पर रोज होने वाली गंगा आरती को अब गंगा सेवा निधि के कार्यालय की छत पर किया जा रहा है। अस्सी घाट पर गलियों में आरती हो रही है। घाटों पर पानी भर जाने से श्रद्धालु और पर्यटक निराश होकर लौट रहे हैं।
निचले इलाकों में पलायन, नौकायन पर प्रतिबंध
गंगा के बढ़ते जलस्तर ने वरुणा नदी में भी पलट प्रवाह शुरू कर दिया है। सलारपुर, दनियालपुर, हुकुलगंज, नक्खीघाट, बघवानाला जैसे इलाकों में पानी घुस चुका है। कोनिया घाट की ओर पानी तेजी से बढ़ रहा है। नगवां और अस्सी-लंका मार्ग दो फीट पानी में डूब गए हैं, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। सुरक्षा कारणों से नौकायन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे हजारों नाविकों की आजीविका संकट में पड़ गई है।
किसानों की मुसीबत: फसलें डूबने के कगार पर
बाढ़ का असर ढाब क्षेत्र की लगभग 40 हजार आबादी पर भी पड़ा है। चांदपुर से मोकलपुर तक 500 एकड़ से अधिक खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। परवल, नेनुआ, लौकी, करैला, भिंडी और चारे की फसलें बर्बादी के कगार पर हैं। प्रशासन ने राजस्व विभाग की टीम को नुकसान के आकलन में लगाया है। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को ऊंचे और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
