
जयपुर, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजधानी सहित प्रदेश की करीब 1600 से अधिक अधीनस्थ अदालतों में आज से न्यायिक कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के आह्वान पर प्रदेश के करीब 21 हजार न्यायिक कर्मचारी शुक्रवार से सामूहिक रूप से अवकाश पर चले गए हैं। वहीं बीते पांच दिनों ने सेशन कोर्ट परिसर में धरना व भूख हड़ताल की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से किसी तरह की सुनवाई नहीं होने पर कर्मचारी संघ ने अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर रहने का निर्णय लिया है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी ने बताया कि न्यायिक कर्मचारियों में मंत्रालयिक और स्टेनोग्राफर कैडर के पुनर्गठन की मांग पिछले दो साल से लंबित है। इस बाबत हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने 6 मई 2023 को प्रस्ताव पास करके राज्य सरकार को भिजवा दिया था, लेकिन सरकार ने दो साल बाद भी इसे लागू नहीं किया। इससे न्यायिक कर्मचारियों को प्रमोशन के कम मौके मिल रहे हैं और उनका आर्थिक नुकसान भी हो रहा हैं। राज्य सरकार ने दूसरे सरकारी विभागों के कर्मचारियों में इन दोनों संवर्गों का पुनर्गठन तुरंत ही कर दिया गया था, लेकिन न्यायिक कर्मचारियों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है। न्यायिक कर्मचारियों ने मई में भी अनिश्चितकालीन भूख हडताल शुरू की थी, लेकिन भारत-पाक तनाव के बीच आंदोलन को स्थगित कर दिया था। इसके बाद 14 जुलाई से एक बार फिर न्यायिक कर्मचारियों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया था।
वहीं जिला न्यायालय कर्मचारी संघ के पूर्व पदाधिकारी बद्रीलाल ने कहा कि गुरुवार को सभी जिला अध्यक्षों की आपात बैठक बुलाई गई थी। जिसमें तय किया गया कि शुक्रवार से सभी कर्मचारी अवकाश पर रहेंगे। हाईकोर्ट की पूर्णपीठ के निर्णय के बाद भी राज्य सरकार मनमानी कर रही है। यह कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात के साथ-साथ पूर्ण पीठ के आदेश की अवहेलना भी है। ऐसे में कैडर पुनर्गठन के आदेश नहीं मिलने तक प्रदेश की समस्त अधीनस्थ अदालतों में कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इनमें अदालतों के साथ-साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य भी शामिल हैं।
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(Udaipur Kiran)
