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कृषक खेती में नवीन तकनीकों का ज्यादा से ज्यादा करें उपयोग: कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री

कृषक खेती में नवीन तकनीकों का ज्यादा से ज्यादा करें उपयोग: कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री

जयपुर, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. किरोडी लाल मीणा ने पारंपरिक कृषि से आगे बढ़ाकर उत्पादकता और कृषकों की आय बढ़ाने के लिए नवीन कृषि पद्धतियों को अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने पारंपरिक और जैविक खेती पर जोर देते हुए कहा कि कृषक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम से कम करें, इसके लिए विभागीय अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र के कृषकों को ज्यादा से ज्यादा जागृत करें।

डॉ. किरोडी लाल मीणा ने शुक्रवार को पंत कृषि भवन में विभागीय अधिकारियों और कंपनियों के प्रतिनिधियों की बैठक ली। बैठक में कृषि विकास, मृदा की स्थिति, कृषि में एआई का उपयोग, कृषि यंत्रीकरण और बायोफर्टिलाइजर व पेस्टिसाइट के उपयोग पर कंपनी प्रतिनिधियों द्वारा पीपीटी के माध्यम से प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया।

कृषि में एआई का उपयोग

डॉ. किरोडीलाल ने बताया कि एआई का उपयोग कर किसान बेहतर तरीके से फसल प्रबंधन, कीट एवं रोग का पता लगाना, मौसम का पुर्वानुमान आदि का समय से ही पता लगा सकते हैं। एआई द्वारा फसलों के रोगों की समय पर पहचान कर किसान उचित कीटनाशकों व उर्वरकों का उपयोग कर फसल में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।

मृदा की स्थिति

बैठक में बताया कि मृदा पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है। कृषि, वनस्पति एव जैव विविधता के लिए मृदा की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और बार-बार एक ही फसल उगाने से मृदा की उर्वरकता घट जाती है। मृदा की स्थिति सुधारने के लिए रासायनिक उर्वरकों की जगह किसानों को गोबर खाद, कंपोस्ट एवं वर्मीकंपोस्ट का उपयोग करना चाहिए।

बायोफर्टिलाइजर

बायोफर्टिलाइजर ऐसे जीवित सूक्ष्म जीव होते हैं जो पौधों को आवश्यक तत्व प्रदान करते हैं ये मिट्टी में मौजूदा पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित कर पौधों की जड़ों तक पहुचाते हैं। बायोफर्टिलाइजर द्वारा मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है।

उपग्रह छवियों के साथ फसल का मुल्यांकन

उपग्रह छवियों के साथ फसल मुल्यांकन प्रणाली आधुनिक कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है। उपग्रह इमेज का उपयोग करके किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों को फसलों के स्वास्थ्य, विकास एवं उपज का मुल्यांकन करने में मदद मिलती है। यह प्रणाली वास्तविक समय में जानकारी प्रदान करती है, जिससे किसानों को समय पर निर्णय लेने और संसाधनों को प्रभावि ढंग से उपयोग करने में मदद मिलती है।

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(Udaipur Kiran)

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