Uttar Pradesh

स्थिर और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के चार महत्वपूर्ण कारक-योजना, विश्लेषण, क्रियान्वयन व नियंत्रण : प्रो जौहरी

संगोष्ठी

–गरीबी और असमानता वैश्विक विकास में सबसे बड़ी बाधा : डॉ वैभवप्रयागराज, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान के कस्तूरबा गांधी सभागार में “निर्धनता, असमानता और वर्तमान विश्वः एक समसामयिक मूल्यांकन” (अंतरराष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस) पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि वाणिज्य विभाग के समन्वयक प्रो. ज्ञानेंद्र बहादुर सिंह जौहरी ने कहा कि स्थिर और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के चार महत्वपूर्ण कारक हैं-योजना, विश्लेषण, क्रियान्वयन एवं नियंत्रण।उन्होंने कहा कि समस्याओं का महिमा मंडन करने के बजाय हम उनके समाधान खोजने और सार्थक ढंग से समाज हित में क्रियाशील करने के लिए तत्पर होना ही पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला, और मार्टिन लूथर किंग (जूनियर) जैसे विभूतियों का जीवन इस संकल्पना का जीवित प्रतीक है कि समस्याएं कितनी भी बड़ी हो मनुष्य की अदम्य इच्छाशक्ति के आगे उन्हे पराजित होना ही पड़ेगा। प्रो. जौहरी ने कहा कि असमानता और शोषण एक विश्वव्यापी व्याधि है, जिसका समयानुकूल समाधान ढूढ़ना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है।संगोष्ठी में एस.एस. खन्ना महिला महाविद्यालय प्रयागराज के सहायक आचार्य डॉ. वैभव अग्रवाल ने कहा कि गरीबी और असमानता वैश्विक विकास में सबसे बड़ी बाधा है तथा एक स्थिर समान अधिकारों वाले समाज के लिए आवश्यक है की वहां शिक्षा और विकास स्थानीय संसाधनों के मानवोपयोगी हित पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जरूरतों को समझते और अपनी आय का अर्जन करते हुए उसमे संतुलन साधना ही वास्तविक विकास है। डॉ. वैभव ने आगे कहा कि जीवन एक सतत् प्रक्रिया है और तमाम कोशिशों के बावजूद अभी भी गरीबी कायम है। ये इस बात का संकेत है की विकास अभी अपनी पूर्णता को प्राप्त नहीं हुआ है और हम सबको इस अभीष्ट की प्राप्ति के लिए और संकल्प करने पड़ेंगे।

प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग की डॉ. गीतांजलि श्रीवास्तव ने कहा कि निर्धनता और असमानता एक सामाजिक मनोदशा है। जिसके उपचार के निमित्त हमें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक तीनों स्तरों पर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि असमानता और निर्धनता के समूल निवारण के लिए हमें मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाना ही पड़ेगा। संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए संस्थान के समन्वयक डॉ. अविनाश कुमार श्रीवास्तव निर्धनता और असमानता के दार्शनिक पक्ष को रेखांकित करते हुए कहा कि अभाव-भाव का जनक है और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अदम्य जिजीविषा का प्रदर्शन करते हुए कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। संगोष्ठी में संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश सिंह ने सभी का स्वागत किया और संगोष्ठी को प्रो. बृजेन्द्र सिंह, डॉ. सत्य प्रताप सिंह ने भी सम्बोधित किया।इविवि की पीआरओ प्रो जया कपूर ने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के नेतृत्व में चल रहे पर्यावरण संरक्षण के लिए संस्थान में अतिथियों द्वारा ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के तहत पौधारोपण किया गया और प्रधानमंत्री की संकल्पना ‘विकसित भारत-हरित भारत’ के तहत वर्ष भर पौधारोपण का संकल्प लिया गया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. तोषी आनंद तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने किया। संगोष्ठी में डॉ. प्रतीक श्रीवास्तव, डॉ. आशीष यादव, दिव्यांश सिंह, विनोद सिंह, अमन श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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