


बांसवाड़ा/डूंगरपुर, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । भीलप्रदेश के गठन की माँग को लेकर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली भीलप्रदेश संदेश यात्रा का आयोजन इस वर्ष भी ऐतिहासिक मानगढ़ धाम पर सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में चार राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और दादरा नगर हवेली से आए जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, युवा कार्यकर्ताओं और बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने भाग लिया।
गुरुवार को मानगढ़ धाम पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने कहा कि भीलप्रदेश राज्य की माँग कोई नई नहीं है, यह वर्षों पुरानी ऐतिहासिक माँग है, जिसका उद्देश्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों को सांस्कृतिक, शैक्षिक, आर्थिक और प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाना है। साथ ही कहा कि दक्षिण राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश, उत्तर-पूर्वी गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों को मिलाकर पृथक भीलप्रदेश राज्य का गठन होना चाहिए, ताकि ये पिछड़े हुए आदिवासी बहुल क्षेत्र में योजनाओं का सही क्रियान्वयन और समाज की समुचित भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
गौरतलब है कि मानगढ़ धाम पूरे देश के आदिवासी समाज के लिए एक ऐतिहासिक प्रमुख स्थल है। वर्ष 1913 में गोविंद गुरू महाराज के नेतृत्व में यहाँ 1500 से अधिक भील आदिवासी एकत्र हुए थे। वे भीलप्रदेश की मांग को लेकर एकत्र हुए थे लेकिन ब्रिटिश शासन ने इन पर गोलियाँ चलवा दीं, जिसमें एकसाथ 1500 से अधिक आदिवासी शहीद हुए थे। यह हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काले अध्यायों में से एक है, जिसे मानगढ़ नरसंहार के रूप में जाना जाता है। कार्यक्रम में प्रमुख तीन माँगों राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र एवं दादरा नगर हवेली के 49 जिलो (कुछ पूर्ण व कुछ आंशिक) को मिलाकर पृथक भीलप्रदेश राज्य का गठन, मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय शहीद स्थल का दर्जा प्रदान करने तथा संविधान की पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों को प्रभावी रूप से लागू करने और आदिवासी क्षेत्रों संविधान के प्रावधानों के अनुरूप आरक्षण व्यवस्था लागू करने की मांग को दोहराया।
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(Udaipur Kiran) / संतोष
