



कोकराझार (असम), 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । नक्सल विरोधी अभियान में बलिदान जवान सीटी/जीडी प्रणेश्वर कोच का पार्थिव शरीर आज कोकराझार जिले के मागुरमारी गांव उनके निवास स्थान पहुंचा। जहां पर जवान के शव को राष्ट्रीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही अंतिम संस्कार किया गया। सीटी/जीडी प्रणेश्वर कोच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (केरिपुब) की 209 कोबरा बटालियन में तैनात थे।
इस दौरान केरिपुब के महानिरीक्षक अंशुमान यादव के अलावा कई आला अधिकारी, विधायक लारेंस इस्लारी, बोडोलैंड के कार्यकारी पार्षद रंजीत बसुमतारी, कोकराझार जिला पुलिस अधीक्षक पुष्प राज सिंह, जिला आयुक्त के साथ-साथ अन्य अधिकारी एंव भारी संख्या आम जनता मौजूद थी। उपस्थित लोगों ने बलिदानी जवान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही स्थानीय जनता और जिले के विभिन्न जगहों से आये लोगों ने भारत माता की जय, प्राणेश्वर कोच अमर रहे के नारे लगाते हुए अंतिम विदाई दी। वहीं प्रणेश्वर कोच के पिता बिरेश्वर कोच ने कहा कि आज हमें दुख के साथ-साथ गर्व भी हो रहा है कि हमारा बेटा देश के लिए बलिदान हो गया है। हम चाहते हैं कि देश से आतंकवाद खत्म हो।
ज्ञात हो कि झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया थाना क्षेत्र के काशीदीह/बीरहोड़ेरा जंगल क्षेत्र में बीते 15 जुलाई की रात को सीआरपीएफ की 209 कोबरा टीम ने झारखंड पुलिस के साथ एक ऑपरेशन शुरू किया। शहीद कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर कोच पार्टी के स्काउट थे और वह अपनी पार्टी के गठन का नेतृत्व कर रहे थे।
16 जुलाई की सुबह लगभग 5.45 बजे जब पार्टी लक्षित क्षेत्र के पास एक पहाड़ी ढलान पर पहुंची, तो कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर ने नक्सलियों की पार्टी को देखा। उन्होंने तुरंत अपनी पार्टी को सतर्क किया और चुपके से नक्सलियों की स्थिति के पास पहुंचने की कोशिश की।
हालांकि, नक्सलियों ने उनकी गतिविधियों को नोटिस किया और उन पर स्वचालित हथियारों से भारी गोलीबारी शुरू कर दी। निडर और मजबूत संकल्प के साथ शहीद कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर कोच ने साहसपूर्वक जवाब देते हुए नक्सलियों की सुदृढ़ स्थिति की ओर निडर होकर बढ़ते रहे। अग्रिम मोर्चे पर होने के कारण उन्होंने नक्सलियों से वीरता से लड़ा और उन्हें चुनौती दी। उनके बहादुरी भरे कार्यों और जुझारू प्रवृत्ति ने उनके साथी कमांडो को प्रेरित किया, जिन्होंने भी कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर कोच के साथ मिलकर नक्सलियों से मुकाबला किया।
कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर कोच और उनके साथी कमांडो की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण सब-जोनल कमांडर कुंवर मंजी उर्फ साहदेव मांजी, जो 5 लाख के इनामी को ढेर किया गया। उसके पास से एक एके-47 रायफल भी बरामद किया गया।
हालांकि, जब वे अपनी स्थिति बदलने के लिए रणनीतिक चाल चल रहे थे, तो छिपे हुए नक्सलियों ने कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर कोच को लक्ष्य बनाकर भारी गोलीबारी की। कॉन्स्टेबल प्रणेश्वर को गोली लग गई। पहले सहायता देने के बाद उन्हें तुरंत हेलीकॉप्टर से राज अस्पताल, रांची में लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
प्रणेश्वर कोच ने न केवल नक्सलियों से वीरता से लड़ा, बल्कि एक स्काउट के रूप में अपनी तेज़ निगाहों से अपनी टीम को सतर्क किया, इस प्रकार अपने साथियों की कीमती जान बचाई। हालांकि, अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते हुए उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया और देश की सेवा में अमर हो गए।
प्रणेश्वर कोच अपने पीछे मां और पिता के साथ-साथ अपनी पत्नी और 5 वर्ष का एक बच्चा छोड़ गये हैं।
(Udaipur Kiran) / किशोर मिश्रा
