
धमतरी, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 14 जुलाई को एक आदेश जारी कर जिला अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डा एमए नसीम को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इनके बर्खास्तगी से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
सोमवार 14 जुलाई को डा नसीम ड्यूटी में नहीं आए थे। वहीं सीएमएचओ दफ्तर में पदस्थ एक महिला कर्मचारी को भी पद से हटा दिया गया है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र कुमार के डिजिटल हस्ताक्षर से 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा गया है कि डा एमए नसीम चिकित्सा अधिकारी धमतरी को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, रायपुर द्वारा आठ मार्च 2018 में पारित निर्णय में दोषी पाये जाने पर सामान्य प्रशासन विभाग ने बर्खास्त कर दिया है। इधर ईएनटी विशेषज्ञ डा एमए नसीम के राज्य शासन द्वारा सेवा समाप्ति का आदेश मिलते ही जिला अस्पताल के ओपीडी के कक्ष क्रमांक 109 के बाहर सूचना चस्पा किया। जिसमें लिखा है कि डा एमए नसीम अनिश्चितकालीन समय तक अनुपस्थित रहेंगे।
इस संबंध में सीएमएचओ डा यूएल कौशिक ने बताया कि डा एमए नसीम पर 2014 का एक मामला था। जब वे जिला मलेरिया अधिकारी थे। एसीबी ने उन पर कार्रवाई की थी। 2018 में कोर्ट ने सजा सुनाया था। इस आधार पर राज्य शासन द्वारा आदेश जारी कर डा एमए नसीम को पद से बर्खास्त कर दिया है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में जब डा एमए नसीम मलेरिया अधिकारी थे, तो उस समय जिला अस्पताल धमतरी के कक्ष में एक मलेरिया फील्ड वर्कर से पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इस मामले में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत डाक्टर एमए नसीम को एक साल की सजा और 15 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित भी किया था। हालांकि डाक्टर एमए नसीम ने इस फैसला के विरूद्ध हाईकोर्ट बिलासपुर में अपील की थी। इस अपील में उच्च न्यायालय ने उनके विरूद्ध पारित दंडादेश को अपील प्रकरण के निराकरण तक निलंबित रखे जाने का आदेश 19 मार्च 2018 को पारित किया था। न्यायालय ने डा एमए नसीम को दोषमुक्त नहीं किया है। यही वजह है कि राज्य शासन ने डाक्टर को बर्खास्त कर दिया है। वहीं सीएमएचओ कार्यालय धमतरी में पदस्थ एक महिला कर्मचारी को भी शासन के आदेशानुसार पद से हटाने आदेश जारी हुआ है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छग ने जारी आदेश में पदस्थ महिला कर्मचारी मधु तिवारी की सेवा समाप्त कर दी है। मालूम हो कि जिला अस्पताल के ओपीडी में कान, नाक और गले से संबंधित समस्या वाले मरीजों को उपचार के लिए अब जिला अस्पताल में एक भी डाक्टर नहीं है। जबकि यहां रोजाना 50 से अधिक मरीज ओपीडी में इनसे उपचार के लिए आते हैं। इसके साथ ही आडियोमेट्री लैब का कार्य भी प्रभावित होगा। मेडिकल बोर्ड के सदस्य भी है। इनके चले जाने से संबंधित मरीजों को प्रमाण पत्र मिलने में दिक्कत होगी।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
