
नैनीताल, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोत्रों, पर्यावरण संरक्षण और नदियों में मंडरा रहे खतरे संबंधी तीन अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 25 अगस्त तक याचिकाकर्ता और सरकार से वर्तमान स्थिति से अवगत कराने को कहा है। कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि नदी, नालों और गधेरों में जहां जहां अतिक्रमण हुआ है, उसे हटाया जाए और उस जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इन्हें, उसी तरह से सीसीटीवी कैमरे लगाकर मैनेज किया जाए जैसे सड़कों के संवेदनशील क्षेत्रों को किया जाता है।
कोर्ट ने डीजीपी से कहा था कि वो सम्बंधित एसएचओ को ऐसी घटनाओं वाली जगहों के अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट पेश करने को कहें। कोर्ट ने सचिव शहरी विकास से कहा था कि वो प्रदेश के नागरिकों में एक संदेश प्रकाशित करें कि नदी नालों और गधेरों में अतिक्रमण, मलुआ या अवैध खनन ना करें, जिसकी वजह से मानसून सीजन में किसी तरह की दुर्घटना न हो।मुख्य न्यायधीश जी नरेन्द्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल और उर्मिला थापर ने हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा था कि देहरादून के सहस्त्रधारा की जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है, जबकि दूसरी याचिका में कहा गया कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बहुत ज्यादा अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण किया गया। खासकर बिंदाल और रिस्पना नदी में। इसलिए इन पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाए, लेकिन कोर्ट के पूर्व के आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं हुआ, इसलिए उस आदेश का अनुपालन कराया जाए।
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(Udaipur Kiran) / लता
