– सुपर इंजंक्शन हटते ही सामने आई ब्रिटेन की अफगान शरण योजना
लंदन, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । ब्रिटिश सरकार ने मंगलवार को खुलासा किया कि तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद, हजारों अफगान नागरिकों को, जिनमें कई ब्रिटिश सेना के साथ काम कर चुके हैं, एक गुप्त पुनर्वास योजना के तहत ब्रिटेन में बसाया गया है। यह कदम 2022 में लगभग 19,000 अफगानों की पहचान से जुड़ा डेटा लीक हो जाने के बाद संभावित खतरों को देखते हुए उठाया गया था।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री जॉन हीली ने संसद में कहा कि इस योजना को लेकर पार्लियामेंट और जनता के प्रति पारदर्शिता की कमी मुझे हमेशा से परेशान करती रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस लीक की वजह से तालिबान द्वारा इन अफगानों के खिलाफ प्रतिशोध का खतरा पैदा हो गया था।
दरअसल, रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी की ईमेल त्रुटि के चलते एक स्प्रेडशीट लीक हो गई थी, जिसमें 19000 अफगानों की व्यक्तिगत जानकारी थी। इसके कुछ अंश ऑनलाइन सार्वजनिक भी हो गए। तब उस समय की कंजर्वेटिव सरकार ने हाई कोर्ट से सुपर इंजंक्शन हासिल किया। सुपर इंजंक्शन का मतलब होता है एक ऐसा आदेश जो किसी चल रहे कानूनी मामले की न केवल रिपोर्टिंग पर रोक लगाता है, बल्कि यह भी गोपनीय रखता है कि कोई आदेश जारी हुआ है।
ऐसे में अब लेबर सरकार ने यह गोपनीय योजना सार्वजनिक करने का फैसला किया है और सुपर इंजंक्शन को समाप्त कर दिया गया है। सरकार ने बताया कि एक स्वतंत्र समीक्षा में यह निष्कर्ष निकाला गया कि डेटा लीक के कारण अफगान नागरिकों को असामान्य खतरे का सामना नहीं करना पड़ा है।
इस गुप्त योजना के तहत करीब 4,500 अफगान नागरिक (जिनमें 900 आवेदक और उनके 3,600 परिजन शामिल हैं) पहले ही ब्रिटेन लाए जा चुके हैं। योजना समाप्त होने तक यह आंकड़ा 6,900 तक पहुंच सकता है। योजना पर कुल 850 मिलियन पाउंड (लगभग 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का खर्च अनुमानित है। इसके अलावा, 36 हजार अन्य अफगानों को अन्य पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत पहले ही ब्रिटेन में बसाया जा चुका है।
हाई कोर्ट के जज मार्टिन चेम्बरलेन ने मंगलवार को सुपर इंजंक्शन हटाते हुए कहा, “इस आदेश ने लोकतंत्र में जवाबदेही की सामान्य प्रक्रिया को पूरी तरह से ठप कर दिया। इससे एक तरह का ‘निगरानी शून्य’ (स्क्रूटनी वैक्यूम) उत्पन्न हुआ।”
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
