
नई दिल्ली, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अध्यक्षता वाली बेंच ने आतंकी संगठन ‘ द रेजिस्टेंट फ्रंट’ (टीआरएफ) के कार्यकर्ता अरसालान अहेंगर की जमानत याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित काफी प्रभावशाली है और उसके रिहा होने पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ होने की आशंका है। कोर्ट ने कहा कि अरसालान अहेंगर ने आतंकियों के फोटो पोस्ट कर लोगों से आतंकी गतिविधि में शामिल होने के लिए उकसाया। कोर्ट ने कहा कि ये नहीं कहा जा सकता है कि अहेंगर ने खुद आतंकी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी नहीं की।
अहेंगर पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर अंसार गजवात उल हिंद (एजीएच) और शैकू नायकू नामक ग्रुप बनाए। उसने आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कई सारे जीमेल अकाउंट बनाए ताकि वो अपनी विचारधारा फैला सके। एनआईए के मुताबिक अहेंगर ने युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने के लिए फेसबुक, व्हाट्स ऐप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये उनका ब्रेन वाश करता था और उन्हें टीआरएफ में शामिल होने के लिए प्रेरित करता था।
कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित ट्रायल सबका अधिकार है और अगर अहेंगर को लगता है कि उसके ट्रायल में देरी हो रही है तो वो सक्षम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।
अहेंगर को 30 दिसंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
