Bihar

एकीकृत भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली और स्थानिक दाखिल–खारिज पोर्टल लॉच

भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली और स्थानिक दाखिल–खारिज पोर्टल लॉच करते राजस्व मंत्री संजय सरावगी

-राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने किया उद्घाटन

-आईआईटी रूड़की ने पोर्टल को किया है विकसित

पटना, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । राज्य में ‘एकीकृत भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली (आईएलआरएमएस) और ‘स्थानिक दाखिल-खारिज पोर्टल’ को लांच कर

दिया गया है। 31 दिसंबर 2026 तक प्रदेश में भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा हो जाएगा। साथ ही आने वाले वक्त में भूमि विवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।

यह बातें मंगलवार को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने ‘एकीकृत भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली (आईएलआरएमएस) और ‘स्थानिक दाखिल-खारिज पोर्टल’ के विधिवत उद्घाटन के मौके पर कही। इस पोर्टल को आईआईटी रूड़की ने विकसित किया है।

पटना के शास्त्री नगर स्थित सर्वे भवन में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि भूमि सुधार और डिजिटाइजेशन के क्षेत्र में विभाग लगातार आगे बढ़ रहा है। पहले विभागीय कर्मी झोला लेकर चलते थे, लेकिन अब वो परिपाटी भी खत्म हो गई है। अब पोर्टल लॉन्च कर दिया गया है। पूरा विभाग ऑनलाइन है। बिहार ऐसा पहला राज्य है, जहां उच्च तकनीक की सहायता से स्पेशियल डिजिटाइजेशन का काम हुआ है। उम्मीद करता हूं कि इसके लॉन्च होने के बाद भविष्य में भूमि विवाद नगण्य हो जाएगा। आमलोगों को एकीकृत प्रणाली के तहत इसका लाभ मिलेगा। इससे न केवल भू-अभिलेख अद्यतन होंगे, बल्कि नागरिकों को त्वरित, पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं भी मिलेंगी।

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि आईएलआरएमएस के जरिए अब हम टेक्सचुअल और स्पेशियल डेटा को एक ही मंच पर समेकित कर पा रहे हैं। इससे भूमि रिकॉर्ड्स का एक ऐसा डिजिटल इकोसिस्टम बनेगा, जो नागरिकों की सहूलियत के साथ-साथ प्रशासनिक पारदर्शिता को भी मजबूत करेगा।‘

विभागीय सचिव जय सिंह ने कहा कि जब हम आज म्यूटेशन करते हैं तो व्यक्ति का नाम और आंकड़े तो बदल जाते हैं लेकिन नक्शे में कोई बदलाव नहीं होता है लिहाजा इसतरह के विवाद बड़ी संख्या में सामने आते हैं कि एक ही प्लॉट को कई मर्तबा बेच दिया गया। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही इस पोर्टल को विकसित किया गया है, जिसे आईआईटी रूड़की की टीम ने बनाया है।

उल्लेखनीय है कि स्थानिक दाखिल–खारिज के तहत अब भूमि की खरीद-बिक्री के बाद राजस्व मानचित्र और अधिकार अभिलेख स्वतः अपडेट हो सकेंगे। नई प्रणाली से यह बदलाव ऑटोमेटेड हो जाएगा। आईएलआरएमएस की इस पहल से न सिर्फ प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी बल्कि जमीन विवादों में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। नई प्रणाली के तहत सभी डिजिटल सेवाएं दाखिल-खारिज, लगान भुगतान, ई–मापी, भू-संवर्तन, न्यायालय प्रबंधन आदि एक ही पोर्टल पर उपलब्ध होंगे।

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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी

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