West Bengal

बंगाली पहचान को लेकर तृणमूल का भाजपा पर तीखा हमला, ममता-अभिषेक बुधवार को निकालेंगे विरोध मार्च

बंगाली अस्मिता पर सियासत गरमाई कल अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी के नेतृत्व में निकलेगी विरोध रैली

कोलकाता, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में बांगाली अस्मिता (बंगाली पहचान) एक बार फिर सियासत के केंद्र में है। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर गैर-बंगाली और बंगाल विरोधी मानसिकता फैलाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कोलकाता में विशाल विरोध रैली की घोषणा की है। इस रैली का नेतृत्व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी करेंगे।

बंगाल में भाजपा की पहचान पर उठे सवाल

भाजपा की राज्य इकाई लंबे समय से खुद को बंगाल की पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है। मंचों से बंगाली कविताएं, गीत और बंगाली आइकन जैसे रवींद्रनाथ ठाकुर, सैयद मुझतबा अली और सुनिल गांगुली के हवाले दिए जा रहे हैं। नए राज्य अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने भी बंगाली साहित्य और संस्कृति को पार्टी के साथ जोड़ने की पहल की है। यह कोशिश तब सवालों के घेरे में आ गई जब भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों के साथ हो रहे व्यवहार ने विवाद खड़ा कर दिया।

भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों पर अत्याचार का आरोप

दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बंगाली बोलने वाले नागरिकों को बांग्लादेशी घुसपैठिया कहकर प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगातार सामने आ रहे हैं। असम में कूचबिहार की निवासी आरती घोष और उत्तम ब्रजवासी जैसे बंगाली नागरिकों को एनआरसी नोटिस भेजे गए हैं, जबकि वे दशकों से भारत के नागरिक हैं।

असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने हाल ही में धमकी दी कि 2026 की जनगणना में जो व्यक्ति बंगाली को मातृभाषा बताएगा, उसे बांग्लादेशी माना जाएगा। यह बयान भाजपा के बंगाल में जगह बनाने के प्रयासों के खिलाफ जाता है और ममता बनर्जी को आक्रामक विरोध का मौका देता है।

तृणमूल का पलटवार और सियासी रणनीति

तृणमूल कांग्रेस ने हेमंत बिस्व सरमा के बयान को बंगाली विरोध करार देते हुए इसे चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है। 2021 के चुनाव में भी तृणमूल ने बंगाली बनाम बाहरी के नैरेटिव को हथियार बनाया था और इस बार भी पार्टी उसी राह पर चलने को तैयार है। पार्टी का मानना है कि भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों के साथ हो रहे व्यवहार ने उनके संवेदनशील वोट बैंक को झकझोर दिया है।

तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, हम इस बार बंगाली आत्मसम्मान को केंद्र में रखकर ही भाजपा को चुनौती देंगे। ममता बनर्जी का विरोध मार्च इस आंदोलन की शुरुआत भर है। आने वाले महीनों में यह आंदोलन और व्यापक होगा।

भाजपा की सफाई और आंतरिक असंतोष

भाजपा के राज्य अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने तृणमूल पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही बंगालियों को अन्य राज्यों में परेशानी का सामना करना पड़ता है। वह अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बंगाल में शरण देकर राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं।

हालांकि, बंगाल भाजपा के एक बड़े वर्ग का मानना है कि इस तरह के तर्को से जनता को समझाना आसान नहीं होगा। पार्टी के भीतर यह चर्चा भी चल रही है कि अगर केंद्र ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया तो ममता बनर्जी इस मुद्दे पर चुनावी लाभ उठा सकती हैं।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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