चिरांग असम), 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । बीटीसी के चिरांग जिला अंतर्गत भारत-भूटान सीमा के देउश्री-शांतिपुर इलाके में मनुष्य और हाथियों के बीच संघर्ष ने भयावह रूप ले लिया है। क्षेत्र में लगातार हो रहे हाथी उत्पात से निजात पाने के लिए कुछ लोगों द्वारा जंगली हाथियों की अमानवीय ढंग से हत्या किए जाने का संदेह जताया गया है।
रूणीखाता रेंज के चिरांग-रिपु आरक्षित वन क्षेत्र के आस-पास दो अलग-अलग स्थानों से दो मरी हुई मादा हाथियों के शव बरामद किए गए हैं। केवल तीन दिन के अंतराल में हुई इन रहस्यमयी मौतों ने इंसान-हाथी संघर्ष की समस्या को फिर से चर्चा में ला दिया है।
दो दिन पहले देउश्री-दादगिरी के आरक्षित वन क्षेत्र में एक मादा हाथी का शव मिला। इसके बाद जब वन विभाग के पशु चिकित्सकों की टीम ने उसका पोस्टमार्टम पूरा कर शव को दफनाया, तभी उन्हें खबर मिली कि लाउखिगुरी गांव के नजदीक नजला नदी किनारे एक और मादा हाथी पड़ी हुई है।
जब वन विभाग की टीम चिकित्सकों के साथ मौके पर पहुंची, तो पाया कि हाथी अभी जीवित थी। उसे बचाने का प्रयास शुरू किया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही उसकी भी मृत्यु हो गई।
वन विभाग के पशु चिकित्सक डॉ. प्रभात बसुमतारी ने बताया कि प्राथमिक जांच में दोनों हाथियों के शरीर में ज़हरीले पदार्थ के अंश मिले हैं। संदेह है कि किसी ने जानबूझकर जहर मिला खाना इन हाथियों को खिलाया, जिससे उनके पेट में सड़न शुरू हुई और अंततः उनकी मौत हो गई।
हालांकि, मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए फॉरेंसिक जांच हेतु नमूने संग्रहित किए गए हैं।
इस बीच रूणीखाता के वन अधिकारी जसमानिक मुसाहारी ने बताया कि चिरांग-रिपु आरक्षित वन क्षेत्र में कई कारणों से तेज़ी से वनों का क्षरण हो रहा है, जिससे खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है। इसी कारण जंगली हाथियों के झुंड अब जंगल छोड़कर मानव बस्तियों में भोजन की तलाश में पहुंच रहे हैं, जिससे पिछले कुछ वर्षों में मानव-हाथी संघर्ष गहरा गया है।
ऐसे संघर्षों से बचने के लिए कुछ असंवेदनशील लोगों द्वारा जानबूझकर जहर मिला भोजन हाथियों को दिए जाने की आशंका जताई गई है। वन विभाग ने इन मौतों के पीछे किसी गहरी साज़िश का संदेह जताते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराने का निर्णय लिया है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
