
जयपुर, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । जयपुर मेट्रो-प्रथम की स्थाई लोक अदालत ने नेशनल हाइवे पर फास्टैग कार्ड होते हुए भी वाहन चालक से दुगना टोल वसूलने को गंभीर सेवा दोष व अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना है। इसके साथ ही अदालत ने एनएचएआई सहित सिकंदरा व राजधोक टोल प्लाजा प्रबंधक पर 22 हजार रुपए हर्जाना लगाया है। वहीं ज्यादा वसूली टोल राशि 125 रुपए भी परिवाद दायर करने की तारीख 28 जुलाई 2020 से 7 प्रतिशत ब्याज सहित देने का निर्देश दिया है। स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष मनोज कुमार सहरिया ने यह आदेश परिवादी विजय पाठक के परिवाद पर दिया।
परिवाद में कहा गया कि 13 दिसंबर 2019 को परिवादी जयपुर से हिंडौन गया था। रास्ते में उसने राजधोक टोल प्लाजा पर 60 रुपए टोल के दिए। हिंडौन से वापस 16 दिसंबर को जयपुर आते समय सिकंदरा टोल प्लाजा पर उसके फास्टैग में बैलेंस नहीं होने का हवाला देकर उससे टोल के 65 रुपए की बजाय दुगनी टोल राशि 130 रुपए वसूले। इस कार्रवाई को परिवादी ने स्थाई लोक अदालत में चुनौती दी। विपक्षी ने कहा कि यह मामला अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं है। जवाब में विपक्षी ने कहा कि यदि फास्टैग कार्ड नहीं होते हुए कोई वाहन चालक फास्ट टैग लाइन में आता है तो उससे दुगनी टोल राशि ली जाती है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर कहा कि विपक्षी दुगनी टोल राशि वसूलने का स्पष्ट कारण नहीं बता पाए हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि परिवादी से फास्टैग व उसमें बैलेंस होते हुए भी ज्यादा टोल वसूला है, यह गलत है। परिवादी हर्जाने सहित वसूली दुगनी टोल राशि वापस प्राप्त करने का अधिकारी है।
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(Udaipur Kiran)
