
बरेली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । साइबर ठगों ने सोमवार को बरेली कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर को निशाना बनाने की कोशिश की। कॉमर्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राजीव मेहरोत्रा को अज्ञात नंबर से कॉल कर खुद को सरकारी अधिकारी बताया गया और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर तकरीबन एक घंटे तक डराने-धमकाने का सिलसिला चला। लेकिन इस बीच उनकी पत्नी की सतर्कता काम आई और समय रहते फोन कटवा दिया, जिससे प्रोफेसर ठगी का शिकार होने से बच गए। पीड़ित ने साइबर थाना पहुंचकर मामले की शिकायत दर्ज कराई है।
घटना साेमवार की सुबह 10:30 बजे की है, जब प्रो. मेहरोत्रा के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। फोन उठाते ही ऑटोमेटेड वॉइस ने कहा कि आपका नंबर दो घंटे में ट्राई द्वारा ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसके बाद कॉल एक महिला जुड़ी, जिसने खुद को सरकारी अधिकारी बताया और कहा कि प्रोफेसर के नाम से आधार कार्ड पर एक सिम चार अक्टूबर को जारी हुआ है, जिसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो रहा है।
कॉलर ने बात को गंभीर बनाते हुए एक और व्यक्ति से कॉल ट्रांसफर की, जिसे अजय नाम से वरिष्ठ अधिकारी बताया गया। उसने महाराष्ट्र के कोलाबा थाने और सीबीआई का नाम लेकर दबाव बनाना शुरू किया। एक फर्जी पत्र भी भेजा गया, जिसमें सीबीआई का लोगों था और प्रोफेसर पर मनी लॉन्ड्रिंग व साइबर अपराध के गंभीर आरोप दर्ज होने की बात कही गई। कॉलर ने यहां तक कह दिया कि पुलिस की टीम आधे घंटे में उनके घर पहुंच रही है।
इस दौरान प्रोफेसर काफी घबरा गए, लेकिन उनकी पत्नी ने कॉल में इस्तेमाल की गई भाषा और बातों की गंभीरता को समझा और तुरंत फोन कटवा दिया। इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि वे साइबर ठगों के झांसे में आने वाले थे। प्रोफेसर ने तुरंत साइबर थाना जाकर लिखित शिकायत दी, जिस पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
साइबर सेल प्रभारी दिनेश शर्मा का कहना है कि किसी भी अनजान कॉल पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें। कोई भी सरकारी एजेंसी कभी इस तरह फोन कर डराने या धमकाने का कार्य नहीं करती। यदि इस प्रकार की कोई कॉल आए तो तुरंत 1930 पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन या नजदीकी थाने को सूचना दें।—————–
(Udaipur Kiran) / देश दीपक गंगवार
