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डब्ल्यूबीएसएससी को ‘दागी’ उम्मीदवारों की पहचान में तकनीकी मुश्किलों का सामना संभव

कोलकाता, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए गए 25 हजार 753 शिक्षक पदों की नई भर्ती प्रक्रिया में ‘दागी’ उम्मीदवारों की पहचान करने में तकनीकी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

कोर्ट के आदेश के अनुसार, ऐसे सभी उम्मीदवार जिन्हें भर्ती घोटाले में संलिप्त पाया गया है, उन्हें ताज़ा भर्ती प्रक्रिया से वर्जित कर दिया गया है। पहले एकल पीठ और फिर कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया है कि ऐसे किसी भी उम्मीदवार का आवेदन सीधे खारिज कर दिया जाए।

हालांकि आयोग के सूत्रों का कहना है कि यदि कोई दागी उम्मीदवार दो नये वेटेज मापदंड – पूर्व शिक्षण अनुभव और लेक्चर डेमोंस्ट्रेशन – के तहत आवेदन करता है, तभी उसकी पहचान तुरंत संभव है। अन्यथा, उसकी पहचान करना संभव तो है लेकिन इसमें काफी समय लग सकता है।

इस बीच, इन दो वेटेज मापदंडों को चुनौती देने वाली याचिका पहले से ही हाईकोर्ट की खंडपीठ में लंबित है। न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास की पीठ में इस मामले पर सोमवार को अहम सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि नई भर्ती प्रक्रिया में वही मापदंड अपनाए जाने चाहिए, जो 2016 की भर्ती प्रक्रिया में थे, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में रद्द कर दिया था।

डब्ल्यूबीएसएससी ने आवेदन की अंतिम तिथि एक सप्ताह बढ़ा दी है। पहले यह तारीख 14 जुलाई निर्धारित थी, जिसे अब 21 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

इस पूरी प्रक्रिया में जहां एक ओर आयोग पारदर्शिता सुनिश्चित करने के प्रयास में है, वहीं दागी उम्मीदवारों की पहचान को लेकर उठ रही तकनीकी दिक्कतें और अदालत में लंबित चुनौतियां इस प्रक्रिया को और जटिल बना रही हैं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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