
भागलपुर, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने अपना 66वां स्थापना दिवस शनिवार को बड़े ही हर्षोल्लास एवं गरिमामय वातावरण में मनाया।
विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित समारोह में प्रतिकुलपति प्रो. (डॉ.) रामाशीष पुर्वे, छात्र-कल्याण अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) विजय कुमार सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षकगण, कर्मचारी, छात्र-छात्राएँ और अतिथि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत तिलकामांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वतंत्रता सेनानी तिलकामाँझी की प्रतिमा पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर समारोह की शुरुआत की गई। इसके बाद कुलगीत का वाचन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा, शिक्षा के प्रति समर्पण और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाया गया।
समारोह के दौरान दीप प्रज्वलन एवं ध्वजारोहण कर विश्वविद्यालय के 66 वर्षों के गौरवशाली इतिहास को नमन किया गया। स्वागत गान ने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय के अतिथियों को सम्मानित किया गया और कुलपति ने उनका स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, शैक्षणिक विकास और भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रो. डॉ.विजय कुमार ने कहा कि तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि विचार, सामाजिक चेतना और क्रांतिकारी परंपरा का वाहक है। यह विश्वविद्यालय बिहार के शैक्षिक नक्शे पर अपनी विशेष पहचान रखता है और भविष्य में भी यह शिक्षार्थियों के सर्वांगीण विकास में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण सांस्कृतिक प्रस्तुति रही, जिसमें छात्रों ने लोकगीत, नृत्य और नाटक के माध्यम से बिहार की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया। समारोह का संचालन बड़े ही सुव्यवस्थित ढंग से किया गया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस अवसर पर प्रति कुलपति ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को शुभकामनाएं देते हुए अपील किया कि वे इस संस्थान की गरिमा और गुणवत्ता को बनाए रखने में योगदान दें। उन्होंने इस दिन को गर्व, आत्मबल और प्रेरणा का दिवस बताया। 66 वर्षों के इस गौरवपूर्ण सफर को याद करते हुए सभी वक्ताओं ने कहा कि तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध और सामाजिक सरोकारों के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह अनुकरणीय है। यह विश्वविद्यालय न केवल अकादमिक बल्कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्तर पर भी अग्रणी रहा है। संस्थान की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी और आज यह विश्वविद्यालय बिहार के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में शुमार है। विश्वविद्यालय ने अपने नाम को सार्थक करते हुए हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है। इस ऐतिहासिक अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार की सहभागिता और उत्साह ने आयोजन को एक स्मरणीय पर्व में बदल दिया।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर
