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ऋषि वशिष्ठ को पाश मुक्त करने वाली विपाशा-ब्यास गंगा की आरती लॉंच

एकादश रूद्र मंदिर में ब्यास आरती के विमोचन के अवसर पर।

मंडी, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । पौराणिक नदी ब्यास की पावन लहरों और इसकी शिखर से समुद्र तक की यात्रा को लेकर कई गाथाएं प्रचल्लित है। ऋृषि वशिष्ठ को पाशमुक्त कर विपाश कहलाने वाली ब्यास गंगा की आरती का विमोचन साहिबणी का दवाला के नाम से मशहूर एकादशरूद्र महादेव मंदिर में किया गया। पश्चिम हिमालय में रोहतांग पर्वत श्रृंखला के आंचल में स्थित ब्यास कुंड से निकलने वाली ब्यास नदी पौराणिक आख्यानों, ऐतिहासिक घटनाओं की साक्षी होने के साथ सांस्कृति संवाहक और नदीघाटी सभ्यता की प्रतीक ब्यास नदी जीवनदायिनी नदी मानी जाती है। जहां मुनष्यों के अलावा देवी-देवताओं के रथ भी स्नान कर पुण्य के भागीदार बनते हैं। इसी पावन नदी की महिमा को कवि-गीतकार डा. राकेश कपूर ने शब्दों में ढाला है। जबिक मशहूर संगीतकार हिमाचल गौरव बालकृष्ण शर्मा ने संगीत से संवारा है।

आरती ब्यास-विपाशा की कीजे, मनश्वचन, कर्म सब अर्पण कीजे। ब्यास कुंड से मुखरित होती,कलरव, कल-कल ध्वनि मन मोहित। ब्यास आरती के इन शब्दों को सुब्रत शर्मा ने स्वर दिया है। ब्यासघटी की मनोरम छटा का खूबसूरत फिल्मांकन हरिओम स्टूडियो के लिए छायाकार गगनेश कुमार ने किया है। ब्यास आरती में ब्यास की चंचल लहरों के साथ दीपक गौतम की सितार और सरोद की जुगलबंदी भी खूब जमी है। इसके अलावा प्रस्तुतकर्ता के रूप में अश्वनी शर्मा, संपादन गगनेश कुमार, मिक्सिंग एव मास्टरिंग निखिल बेरी, प्रोग्रामिंग बाल कृष्ण, ढोलक हरविंदर ववी, तबला प्रशांत त्रिवेदी,प्रकाशन राकेश भारद्वाज, शहनाई राजेंद्र प्रसन्ना, ने किया है।

ब्यास आरती का सहगान संगीत सदन मंडी द्वारा किया गया है। जबिक वीडियो अभिनय स्वामी सत सुंदरम , अश्विनि पंडित, प्रो. राकेश कपूर , अर्चना कपूर, कुलदीप गुलेरिया, शुक्ला शर्मा, रुपेश्वरी शर्मा , दीपक गौतम, गिरघर गोपाल, केदारनाथ, दिनेश, संजीव, रितेश, गविश, अनिता, हर्षा, जया, कविता, शिवानी, उषा, धृति गौतम, महिमा, मानविक, तनिषा, लक्षमण, करुणा, मौनिका, गोपाल शर्मा, लज्जा शर्मा, कल्पना, हर्षा, ललित, कपिल, दीप्ति, गुंजन, धीरज, हेमकांत शर्मा व महेश कपूर ने किया।

संगीतकार बालकृष्ण ने बताया कि मंडी के हनुमान तट पर होने वाली आरती में भाग लेने जब वे आए तो यहां पर देखा कि ब्यास आरती में गंगा आरती लगाई गई। तभी से प्रण लिया है कि ब्यास नदी की भी अपनी आरती होनी चाहिए। बस फिर क्या था मंडी के कलाकारों ने इसे अपना-अपना योगदान देकर पूर्ण कर दिखाया।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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