
रांची, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रदेश राजद महासचिव सह अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव के नेतृत्व में छह सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को राज्यपाल संतोष गंगवार से मिला।
प्रतिनिधिमंडल ने भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषा को नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
इस मौके पर कैलाश यादव ने राज्यपाल से कहा कि
झारखंड राज्य के विशिष्ट क्षेत्रों में कतिपय राजकीय प्रयोजनार्थ उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खरिया, कुडूख (उरांव ) कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया और उड़िया भाषा के अतिरिक्त भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगीका और भूमिज भाषा को राज्य के द्वितीय राजभाषा कि मान्यता मिली हुई है।
उन्होंने कहा कि कार्मिक विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में जारी किए गए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा संचालन नियमावली में उक्त 17 द्वितीय राज्यभाषाओं में से 12 को क्षेत्रीय भाषा के रूप मान्यता दी गई है।
वहीं भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगीका एवं भूमिज को वंचित रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि पलामू और संथाल परगना प्रमंडल सहित राज्य के मुख्य शहर रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो गोड्डा, देवघर गिरिडीह, कोडरमा और चतरा में करोड़ों लोग इन भाषाओं को बोलते हैं।
राज्यपाल से आग्रह किया गया कि राज्य के मान्यता प्राप्त द्वितीय राज्यभाषा में शामिल सभी 17 भाषाओं भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगीका और भूमिज को भी राज्य नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा के रूप में समाहित करने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अनुशंसा कर अवगत कराने की मांग की।
मौके पर राज्यपाल ने कहा कि वे इस विषय पर सरकार को पत्र लिखेंगे और इसे गंभीरता से अध्ययन करने को कहेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में अमरनाथ झा, सुधीर गोप, सुरेन्द्र मिश्रा, राधेश्याम यादव और सुनील पांडेय शामिल थे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
