Assam

देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में असम के विभिन्न जिलों में धरना-प्रदर्शन

गुवाहाटी, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) ।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी महासंघों ने केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी और परिवहन विरोधी नीतियों के खिलाफ आज 24 घंटे की राष्ट्रव्यापी परिवहन हड़ताल का आह्वान किया था। जिसमें विभिन्न परिवहन यूनियनों ने हड़ताल को अपना समर्थन दिया।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी महासंघों और संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त आह्वान पर देशभर में बुलाए गए 24 घंटे के आम हड़ताल का असम में भी असर देखा गया। राज्य के विभिन्न जिलों में सरकारी क्षेत्र के निजीकरण, श्रम संहिता के खिलाफ और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने जैसी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन और धरना-प्रदर्शन हुए।

राजधानी गुवाहाटी में बंद का व्यपक असर दिखा। सुबह दुकानें बाजार बंद थी। गाड़ियों की आवाजाही बहुत कम थी, जो गाड़ियां चल रही थी उसमें काफ़ी भीड़ थी।लोगों को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा।

असम के उदालगुरी जिले के भेरगांव क्षेत्र स्थित डिमाकुची चाय बागान में असम चाय मजदूर संघ की पहल पर एक घंटे का धरना आयोजित किया गया। जिले के सभी चाय बागानों के श्रमिकों ने इसमें भाग लिया। मजदूरी बढ़ाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने चाय श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 250 से बढ़ाकर 351 करने की मांग की। इस आशय का ज्ञापन डिमाकुची चाय बागान प्रबंधन द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपा गया। प्रदर्शन के दौरान “हमारी मजदूरी बढ़ाओ”, “असम सरकार होशियार”, “मूल्य वृद्धि बंद करो” जैसे नारों से आसमान गूंज उठा। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर चाय जनजाति को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।

सर्व असम गाड़ी चालक संघ द्वारा आहूत 24 घंटे की चक्का जाम हड़ताल का चराइदेव जिले में पूर्ण प्रभाव देखा गया। सुबह से ही संगठन के सदस्य सड़कों पर उतर आए और आमजन ने भी इस बंद को समर्थन दिया। हालांकि, छात्रों और मरीजों को ले जाने वाले वाहनों को छूट दी गई।

असम चाय मजदूर संघ के केंद्रीय समिति के आह्वान पर टियक चाय बागान के श्रमिकों ने दो घंटे का धरना आयोजित किया। चाय श्रमिकों की मजदूरी वृद्धि और भूमि पट्टा प्रदान करने जैसी मांगों को लेकर यह प्रदर्शन किया गया।

बरपेटा में एलआईसी कर्मचारी संगठन ने 24 घंटे की देशव्यापी हड़ताल में भाग लिया। केंद्रीय सरकार की प्रस्तावित श्रम संहिता को रद्द करने, एलआईसी प्रीमियम पर जीएसटी हटाने, और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण को रोकने की मांग को लेकर यह हड़ताल की गई। एलआईसी एजेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया की बरपेटा शाखा के सदस्यों ने भी इस आंदोलन में भाग लिया।

गौरीपुर में भी इस आम हड़ताल का असर देखा गया। केंद्रीय सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ 10 ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर स्थानीय सड़कों से यात्रियों और मालवाहक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रही, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में रंगिया में भी ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया। श्रम संहिता रद्द करना, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नियमित वेतन जैसी मांगों के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस दौरान रंगिया की सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित रही।

दक्षिण कामरूप के छयगांव में भी बंद का व्यापक प्रभाव देखा गया। यहां विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने 17 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग से रैली निकालते हुए राजस्व कार्यालय तक मार्च किया। निजीकरण के खिलाफ और मजदूरों की मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की गई। आंदोलनकारियों ने सरकार से जल्द मांगें मानने की अपील की, अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।

बोको में सीआईटीयू की दक्षिण कामरूप जिला समिति ने धरना कार्यक्रम आयोजित किया। डॉ. भूपेन हजारिका स्मृति मंच से रैली निकालकर राजस्व कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। सरकारी संस्थानों के निजीकरण, निर्माण श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी और कल्याण योजनाओं की उचित क्रियान्वयन की मांग की गई।

हाजो के गेरुवा क्षेत्र में भी श्रम संहिता को रद्द करने और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुआ। सीआईटीयू के कामरूप जिला अध्यक्ष नरेश्वर पाटवारी और अन्य नेताओं की उपस्थिति में प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की।

इस तरह असम के कोने-कोने में श्रमिकों और किसानों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार को चेताया कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे और भी तीव्र

आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर

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