
कोलकाता, 09 जुलाई (Udaipur Kiran) । आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के साथ हुए बहुचर्चित बलात्कार और हत्या मामले में पीड़िता के माता-पिता को बड़ा झटका लगा है। कोलकाता की एक निचली अदालत ने बुधवार को उनके उस आग्रह को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपराध स्थल का सर्वेक्षण करने की अनुमति मांगी थी।
निचली अदालत के न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता के माता-पिता को अपराध स्थल का सर्वेक्षण करने की अनुमति देना, मामले में समानांतर जांच की इजाजत देने जैसा होगा, जो कानूनन स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की अनुमति देने का अधिकार निचली अदालत के पास नहीं है।
हालांकि, न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पीड़िता के माता-पिता चाहें तो इसी याचिका के साथ उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं, जहां इस तरह की अनुमति देने का अधिकार मौजूद है।
उल्लेखनीय है कि पीड़िता के माता-पिता ने पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष यह याचिका दायर की थी। उस समय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत को बताया था कि उन्हें माता-पिता द्वारा अपराध स्थल पर जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
हालांकि, न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने उन्हें सलाह दी थी कि वे पहले उसी ट्रायल कोर्ट से अनुमति लें, जिसने इस साल जनवरी में इस मामले के एकमात्र दोषी, नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
ट्रायल कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने अपराध स्थल के निरीक्षण के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई। इसके अलावा आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और टाला थाने के पूर्व प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल के वकीलों ने भी विरोध दर्ज कराया। दोनों पर इस मामले में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने यह सवाल भी उठाया कि जब सीबीआई इस मामले की एकमात्र जांच एजेंसी है, तो उसने पीड़िता के माता-पिता की इस मांग पर आपत्ति क्यों नहीं जताई।
इस फैसले के बाद अब पीड़िता के माता-पिता के पास केवल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का विकल्प बचा है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
