
जयपुर, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एसआई भर्ती 2021 पेपर लीक मामले में राज्य सरकार से समस्त रिकार्ड तलब करते हुए मामले की सुनवाई गुरुवार को रखी है। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश कैलाश चंद्र शर्मा व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति दर्ज कराई।
महाधिवक्ता ने कहा कि 13 अगस्त 2024 को एसओजी ने अपनी रिपोर्ट अपनी सिफारिश भेजी थी और इसी दिन एसओजी की रिपोर्ट पेश करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। महाधिवक्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह रिपोर्ट याचिकाकर्ता के पास कैसे आई, जबकि उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कोई आवेदन ही नहीं किया था। इससे साबित होता है की याचिकाकर्ता का कंडक्ट उचित नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि एसओजी जैसी संस्था से अनाधिकृत रिपोर्ट निकलना आरपीएससी से पेपर लीक होने के समान है। दूसरी ओर महाधिवक्ता की ओर से यह भी कहा गया कि एसओजी की सिफारिश के बाद महाधिवक्ता ने सिफारिश की और आखिर में कैबिनेट सब कमेटी ने अपनी सिफारिश उच्च स्तर पर भेजी। प्राधिकृत अधिकारी ने मामले में विस्तृत जांच करानी चाही, लेकिन इस दौरान ही हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भर्ती परीक्षा को रद्द करने की गुहार की गई। महाधिवक्ता ने कहा कि जब कोई निर्णय ही नहीं किया गया तो केवल निर्णय की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती कैसे दी जा सकती है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। इसके अलावा चयनित अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने कहा कि तीनों सिफारिश निर्णय न होकर निर्णय लेने की प्रक्रिया का भाग थी। एसओजी को भर्ती रद्द करने की सिफारिश देने का अधिकार भी नहीं था। एसओजी ने आपराधिक मामले की जांच की और दोषियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया। इसके अलावा एसओजी की रिपोर्ट में कुछ आरोपियों के पुराने कृत्यों के आधार पर इस भर्ती के पेपर लीक की संभावना जताई गई। वहीं एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर अन्य दोनों सिफारिश की गई। रूल्स ऑफ बिजनेस में एसओजी और कैबिनेट सब कमेटी को प्राधिकृत अधिकारी नहीं बताया गया है। ऐसे में भर्ती के अस्तित्व पर कोई निर्णय हुए बिना याचिका दायर करना गलत है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। अदालत ने बहस सुनाने के बाद माना कि अदालती आदेश की पालना में पूरे दस्तावेज पेश नहीं किए गए हैं। ऐसे में अदालत ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक टालते हुए राज्य सरकार को संबंधित संपूर्ण रिकॉर्ड पेश करने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)
