Uttrakhand

अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन : विज्ञानानंद

Swami Vigyanand Saraswati

हरिद्वार, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि दीनानाथ के दरबार में न तो देर है न ही अंधेर। जो भी देरी होती है भक्त के स्मरण में होती है। भगवान का स्मरण करते ही भक्त का कल्याण हो जाता है। जो सबको स्नेह देता है वही भगवान का होता है और विपत्ति उस पर आती है जो भगवान को भूल जाता है, जबकि गुरु से कपट और मित्र से चोरी करने वाले के आय के स्रोत बंद हो जाते हैं। वे आज राजा गार्डन स्थित श्रीहनुमान मंदिर सत्संग हॉल में भागवत भक्तों को भागवतामृत से ओतप्रोत कर रहे थे।

सुदामा चरित्र को श्रीमद् भागवत का सार बताते हुए ज्ञानवृद्ध संत ने कहा कि समय, युग और जीवन चक्र बदलते रहते हैं, लेकिन भगवान एक हैं जिनको कभी भूलना नहीं चाहिए। सुदामा की भगवत भक्ति को उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि सतयुग में सुदामा कच्छप योनि में थे तो क्षीरसागर में शेषनाग रूपी लक्ष्मण ने उनको श्रीहरि के चरण स्पर्श नहीं करने दिए। त्रेता में वही कच्छप केवट बना, जिसने भगवान के चरण धोकर अपनी नौका से नदी पार उतारा तो द्वापर में वही केवट सुदामा बना जिसके चरण स्वयं भगवान ने धोए और रोटी, कपड़ा तथा मकान सब कुछ देकर अपने जैसा बना दिया। भागवत के प्रमुख प्रसंगों के साथ सभी अवतारों एवं गुरुओं की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और कुपात्र को दान देने से पाप लगता है, जबकि वृद्ध का आशीर्वाद तुरंत फलीभूत होता है।

भागवत भक्तों को योगाचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जयदेवानंद सरस्वती ने आशीर्वचनों से उपकृत किया तो पतंजलि योगपीठ द्वारा संचालित गुरुकुलम की पांच वर्षीय छात्रा गार्गी ने गीता के 16वें अध्याय की प्रस्तुति देकर सभी भागवत भक्तों का मन मोह लिया। अंत में आश्रमस्थ संत एवं भक्तों ने सुदामा चरित्र की मार्मिक झांकी प्रस्तुत कर श्रीमद्भागवत की पूर्णाहुति को सार्थक किया तथा श्रीकृष्ण-सुदामा का दर्शन पूजन कर स्वयं को धन्य किया।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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