Bihar

बारिश की दगाबाजी से खेती पर गहराया संकट

बारिश के अभाव में पीला पड़ती धान की फसल
धान की खेतो में पड़ी दरारे
सूखते गन्ना

पूर्वी चंपारण,09 जुलाई (Udaipur Kiran) । आषाढ के महीने में मानसून की बेरूखी ने जिले में खेती पर संकट गहरा गया है।जून में बारिश नही होने के बाद जुलाई के प्रथम सप्ताह में भी बारिश नही होने से खेतो में धूल उड़ रहे वही बांगर(काली ) मिट्टी वाले खेत तो मानो पककर पत्थर की भांति हो गये है।सूखी नहरे और बंद पड़ी सारी सरकारी नलकूपो वाले पूर्वी चंपारण जिला में भारी मशक्कत के बाद पांच से दस प्रतिशत जिन किसानो ने अपनी खेतो में धान की रोपनी कराये है,उन खेतो में बारिश नही होने के कारण दरारे पड़ने लगी है।

जिला कृषि विभाग की माने तो इस साल जिले में 1.87 लाख हेक्टेयर में धान आच्छादित करने का लक्ष्य निर्धारित है।लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है,कि जिला के ज्यादातर प्रखंडो के कृषि योग्य भूमि असिंचिंत है।सिंचाई विभाग के द्धारा जिन नहरो को निकाला गया है,वह गंडक विभाग की उदानसीनता के कारण सूखी है,कई ऐसे नहरे है,जिसकी खुदाई के बाद पानी मयस्सर ही नही हो सका। वही लघु सिंचाई विभाग की लापरवाही से जिले में लगी करीब दो सौ से ज्यादा सरकारी नलकूप बंद पड़ी है।लिहाजा बारिश के भरोसे हो रहे खेती माॅनसून की दगाबाजी की भेट चढता नजर आ रहा है।नतीजतन मायूस किसानो में बेचैनी दिखने लगे हैं।

जिले के आदापुर,रक्सौल रामगढवा,सुगौली व बंजरिया समेत कई प्रखंडो के किसानो ने बातचीत के दौरान बताया कि सरकार किसानो की आमदनी दुगूनी करने की बात करती है,लेकिन यहां तो खेती पर लागत बढती ही जा रही है।सिंचाई की व्यवस्था नही होने और विधुत विभाग के द्धारा कृषि फीडर बनाने में ढीला रवैया ने धान की खेती पर लागत बढा दी है।किसानो ने बताया धान की खेती पर प्रति एकड़ चार हजार खर्च हो रहे है,बारिश नही होने पर उसको बचाने में प्रति एकड़ दो से तीन हजार अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे है।कुछ किसानो ने बताया धान का बिचड़ा रोपाई के लिए परिपक्व हो गया है,लेकिन रोपनी करने में डर लग रहा है,क्योकी अगर बारिश नही हुआ तो यह खर्च बेकार हो जायेगा।कमोबेश यही स्थिति उन गन्ना किसानो का है।जिनका गन्ना सिंचाई के अभाव और बारिश के नही होने के कारण सूखने लगे है।

यहां बता दे कि जिले में जून माह में 181.10 मिलीमीटर औसत वर्षापात की तुलना में मात्र 36 प्रतिशत वर्षापात रिकॉर्ड किया गया। जून में औसत वर्षापात की तुलना में 64 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जुलाई में औसत वर्षापात 366 मिलीमीटर होने चाहिए। लेकिन माह के आठ दिन बीतने के बावजूद बारिश नही के बराबर हुई है। भीषण गर्मी और आसमान से सूरज की तपती किरणो से जिला में सूखे जैसी हालात बनते नजर आ रहे है।जिसको देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने भी चिंता जताते कहा कि जिले में बारिश की कमी से खरीफ फसलो पर व्यापक असर पड़ता नजर आ रहा है।जिले में सिंचाई साधन की कमी है,जिस कारण किसान निजी पम्प सेट के सहारे खेती करने को विवश है। सरकार से सहायता राशि आवंटित होने पर किसानों को मुहैया कराया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार

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