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मुठ्ठी भर उम्मीदवारों के लिए 22 लाख के हितों की नहीं ली जा सकती बलि- हाईकोर्ट

कोर्ट

जयपुर, 8 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने नीट यूजी-2025 परीक्षा को पुन: आयोजित कराने के संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि मुठ्ठी भर उम्मीदवारों के शिकायत के निवारण के लिए देशभर में आयोजित की गई परीक्षा में शामिल 22 लाख अभ्यर्थियों के हितों की बलि नहीं ली जा सकती। इसके साथ ही अदालत ने परीक्षा को पुन: आयोजित कराने और बोनस अंक देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश रोशन यादव व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।

याचिकाओं में कहा गया कि देशभर के 552 शहरों और 14 इंटरनेशनल केन्द्रों में नीट यूजी-2025 परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसमें सीकर जिले में 98 परीक्षा केन्द्र बनाए गए और 31,787 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। इस दौरान बिजली गुल होने सहित अन्य समस्याओं को लेकर 15 केन्द्रों की परीक्षा प्रभावित हुई और इसमें शामिल 5,390 अभ्यर्थी परीक्षा के दौरान प्रतिकूल प्रभावित हुए। याचिका में कहा गया कि जिले के कई परीक्षा केंद्रों में पांच मिनट से लेकर 28 मिनट तक बिजली गुल रही। जिससे अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र हल करने में परेशानी हुई। याचिका में कहा गया कि स्थानीय जिला कलेक्टर की जिम्मेदारी थी कि वे बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करते, ताकि याचिकाकर्ताओं को अनुकूल वातावरण में परीक्षा देने में सुविधा होती। इस विफलता के कारण याचिकाकर्ताओं का प्रदर्शन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ और उन्हें अनावश्यक तनाव झेलना पडा।

याचिका में यह भी कहा गया कि अंतिम उत्तर कुंजी के अनुसार याचिकाकर्ताओं के अंक 400 से 600 के बीच आए हैं और अधिकांश याचिकाकर्ता कट ऑफ के करीब थे। यदि परीक्षा में व्यवधान नहीं होता तो वे उच्च अंक प्राप्त कर चयनित होते। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता एमएस राघव ने बताया कि कुल अभ्यर्थियों में से सिर्फ आधा फीसदी अभ्यर्थियों ने ही शिकायत दर्ज कराई है। इसके अलावा केवल मुठ्ठी भर उम्मीदवार हाईकोर्ट पहुंचे हैं और 99.5 फीसदी अभ्यर्थी परीक्षा संचालन से संतुष्ठ नजर आए हैं। इसके अलावा तूफान और खराब मौसम के कारण बिजली गुल होना नियंत्रण से परे था। वहीं मामले में एक कमेटी भी गठित की गई थी। जिसने पाया कि प्रभावित परीक्षा केन्द्रों और सामान्य केंद्रों में परीक्षा के लिए आवंटित अवधि में कोई अंतर नहीं था और ना ही याचिकाकर्ताओं को कोई नुकसान हुआ। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

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(Udaipur Kiran)

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