RAJASTHAN

विकास शुल्क के नाम पर जेडीए ने वसूले लाखों रुपए, लेकिन विकास से कोसों दूर सरस्वती विहार कॉलोनी

जेडीए

जयपुर, 8 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजधानी जयपुर की प्रमुख टोंक रोड स्थित सरस्वती विहार कॉलोनी जेडीए द्वारा नियमन के 12 वर्ष बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। कॉलोनी में सड़क, सीवरेज, नाली और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत आवश्यकताओं का अभाव है, जिससे स्थानीय निवासी लगातार समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वर्ष 2013 में जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने इस कॉलोनी का नियमन किया था और कॉलोनाइज़र से लाखों रुपये का विकास शुल्क भी वसूला गया था, लेकिन अब तक विकास कार्य प्रारंभ नहीं हो सके हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि कॉलोनी में केवल मुख्य सड़क पर ही डामर की सड़क बनी है, जबकि अंदरूनी गलियों में अब तक केवल मोरम डाली गई है। बारिश के मौसम में यह मोरम कीचड़ में तब्दील हो जाती है, जिससे आवागमन अत्यंत कठिन हो जाता है। कॉलोनी में करीब 75 से 80 प्रतिशत भूखंडों पर मकान बन चुके हैं और लगभग 50 से अधिक हॉस्टल संचालित हो रहे हैं, फिर भी एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई गई है।

कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर दो खुले कुएं मौजूद हैं, जिनमें से किसी पर मुंडेर नहीं है। यह कुएं जमीन के समतल होने के कारण दूर से दिखाई भी नहीं देते। पिछले वर्ष दीपावली से पहले एक युवक क्रिकेट खेलते समय इन कुओं में गिर गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसके अलावा जानवर भी इन कुओं में गिर चुके हैं। बावजूद इसके, जेडीए या नगर निगम द्वारा कोई सुरक्षात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।

सरस्वती विहार कॉलोनी में सीवरेज की कोई व्यवस्था नहीं है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़कों पर बहता है या खाली पड़े भूखंडों में जमा हो जाता है, जिससे कीचड़ व दुर्गंध के साथ-साथ बीमारियों की आशंका बनी रहती है। पीने के पानी की भी कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। अधिकांश लोग निजी बोरिंग पर निर्भर हैं, जो अक्सर सूख जाती है। मजबूरी में लोगों को टैंकर से पानी मंगवाना पड़ता है, जिसके लिए सर्दियों में 300 और गर्मियों में 400–500 रुपये प्रति टैंकर तक देने पड़ते हैं।

कॉलोनी में आवारा कुत्तों का आतंक बना हुआ है। ये कुत्ते राहगीरों और दोपहिया वाहनों का पीछा करते हैं और कई लोगों को काट भी चुके हैं। नगर निगम में कई बार शिकायतें देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

स्थानीय नागरिकों के अनुसार कॉलोनी में चार पार्क चिन्हित हैं, लेकिन इनमें से एक भी विकसित नहीं किया गया है। रास्तों में धूल उड़ती है, रात के समय अंधेरा छाया रहता है और चारों ओर अव्यवस्था फैली हुई है।

निवासी ज्ञानेंद्र राठी कहते हैं कि कॉलोनी में सड़क, सीवरेज और नाली जैसी बुनियादी सुविधाएं बिल्कुल नहीं हैं। घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़कों और खाली भूखंडों में जमा हो रहा है। यादवेंद्र शर्मा का कहना है कि कॉलोनी में आने वाले मेहमानों के सामने स्थानीय लोग शर्मिंदा हो जाते हैं, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं का नामोनिशान नहीं है। जेडीए जब प्राइवेट कॉलोनाइज़र द्वारा नियम उल्लंघन की बात आती है तो भारी जुर्माना वसूलता है, लेकिन जब उसने खुद विकास शुल्क लेने के बावजूद कोई विकास कार्य नहीं किया तो उसकी जवाबदेही कौन तय करेगा?

(Udaipur Kiran) / राजेश

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