

पूर्णिया, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में अंधविश्वास की आग ने एक पूरा परिवार ही निगल लिया। डायन के शक में गांव की उन्मादी भीड़ ने एक ही परिवार के पांच सदस्यों — सीता देवी, बाबूलाल उरांव, कातो देवी, मनजीत उरांव और रानी देवी — की बेरहमी से हत्या कर दी। गांव में बीते दो वर्षों के भीतर हुई असामयिक मौतों और रहस्यमय बीमारियों के लिए इस परिवार को जिम्मेदार ठहराया गया। झाड़-फूंक करने वाली कातो देवी को डायन बताया गया और आरोप लगाया गया कि वह सिद्धि के लिए मासूमों की बलि दे रही है।
हिंसा की यह चिंगारी रामदेव उरांव के बेटे की मौत के बाद भड़की, जब अफवाह फैली कि बाबूलाल का परिवार अब उसके छोटे बेटे की भी बलि देना चाहता है। गांव के मरर नकुल उरांव के कथित उकसावे पर भीड़ ने पूरे परिवार पर धावा बोल दिया। यह हमला सोची-समझी साजिश का नतीजा था, जिसमें नफरत और अंधविश्वास ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
इस नरसंहार में बचा सिर्फ एक मासूम — सोनू कुमार, जो किसी तरह भागकर अपनी नानी के गांव पहुंचा। उसी ने पहली बार पुलिस को इस विभीषिका की जानकारी दी। सोनू अब गहरे सदमे में है, लेकिन अपनी हिम्मत से उसने अपने माता-पिता, दादा-दादी और चाची का अंतिम संस्कार कर पूरे देश को झकझोर दिया। देर रात्रि एक बजे तक सभी शवों का पोस्टमार्टम किया गया। शमशान परचता की परंतु भीड़ खामोश और निशब्द थी।
आज सुबह सोरा नदी के तट पर, कप्तान पुल के पास, पूरे परिवार का दाह संस्कार किया गया। मुखाग्नि खुद सोनू कुमार ने दी, और यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया। इस मौके पर जिलाधिकारी अंशुल कुमार, एसपी स्वीटी शेरावत, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में पंचायत के लोग मौजूद थे।
पुलिस ने अब तक नकुल उरांव, दिलीप उरांव और कमल उरांव को गिरफ्तार किया है। इन पर भीड़ को उकसाने, हमले की साजिश रचने और हत्या में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं। प्रशासन ने घटना को गंभीरता से लेते हुए एसआईटी का गठन कर दिया है और जांच लगातार जारी है।
—————
(Udaipur Kiran) / नंदकिशोर सिंह
