
नई दिल्ली, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस रविंद्र डूडेजा की बेंच ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने की आरोपित देवांगन कलीता की जांच से संबंधित केस डायरी को संरक्षित रखे जाने की मांग पर आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
इस मामले में 2 दिसंबर, 2024 को हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को देवांगन कलीता से संबंधित दो केस डायरियों को संरक्षित कर रखने का निर्देश दिया था। जब दिल्ली पुलिस के वकील ने इन केस डायरियों के संरक्षित रखे जाने पर कोर्ट को संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। देवांगन कलीता की याचिका पर हाई कोर्ट ने 14 नवंबर, 2024 को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।
देवांगन कलीता के वकील ने हाई कोर्ट से कहा था कि केस डायरी में पूर्व की तिथियों को अंकित कर बयानों को दर्ज किया गया है, जो कानूनी तौर पर वैध नहीं है। उन्होंने मांग की थी कि केस डायरी के दस्तावेज संरक्षित रखने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। तब कोर्ट ने कहा था कि हम एकतरफा आदेश जारी नहीं कर सकते हैं, दिल्ली पुलिस का जवाब आने दीजिए।
कलीता की ओर से कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर सुनवाई चल रही है। आरोप तय करने पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने केस डायरी में पूर्व की तिथियों वाले बयानों का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि देवांगन कलीता की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करवाने में मुख्य भूमिका थी।
कलीता पर आरोप है कि उसने 22 फरवरी, 2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था। कलीता को यूएपीए के मामले में जमानत मिल चुकी है। इस मामले में सफूरा जरगर, ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा, शफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तान्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शरजील इमाम, फैजान खान, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता को आरोपित बनाया गया है। इनमें सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तान्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को जमानत मिल चुकी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब 200 लोग घायल हो गए थे।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
