Madhya Pradesh

गुरु के आसन का नहीं, अनुशासन का जीवन में अनुसरण करोः पंडित प्रदीप मिश्रा

कुबेरेश्वरधाम पर जारी गुरु पूर्णिमा महोत्सव
कुबेरेश्वरधाम पर जारी गुरु पूर्णिमा महोत्सव
कुबेरेश्वरधाम पर जारी गुरु पूर्णिमा महोत्सव

– कुबेरेश्वरधाम पर जारी गुरु पूर्णिमा महोत्सव में उमड़ा जनसैलाब

सीहोर, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुरु कभी किसी का बुरा नहीं चाहता है। गुरु का अनुशासन सदैव हितकारी होता है। गुरु का अनुशासन जीवन में रहे तो उसे चमकदार बना देता है। गुरु जो कहे, वह धारण, पालन और अनुसरण करें, ऐसा शिष्य ही अपना आत्मकल्याण कर सकता है। वर्तमान में शिष्य और चेले गुरु के अनुशासन के अनुसरण को छोड़कर गुरु के आसन और सिहासन की ओर नजर लगाए होते हैं, इसलिए सफल नहीं हो पाते हैं। अगर विश्वास और आस्था के साथ गुरु के एक शब्द का भी संबंध में आपके दिल और दिमाग से हो गया तो आपका जीवन सफल हो सकता है। गुरु के आसन का नहीं, गुरु के अनुशासन का अनुसरण करना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें गुरु के उपदेशों को सुनना चाहिए, उनका पालन करना चाहिए और अपने जीवन में अनुशासन बनाए रखना चाहिए।

यह विचार सीहोर जिले में स्थित प्रसिद्ध कुबेरेश्वरधाम पर जारी छह दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव के जारी श्री गुरु शिव महापुराण के तीसरे दिन सोमवार को कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक स्त्री का सबसे बड़ा गुरु उसका पति रहता है, जो उसकी रक्षा भी करता है और सही उपदेश भी देता है। स्त्री को अपने पति के मार्गदर्शन में चलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गुरु का अनुशासन या गुरु के मार्गदर्शन में अनुशासन एक शिष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं, जो शिष्यों को सही रास्ते पर चलने और जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। गुरु के पद का सम्मान करने के बजाय, हमें उनके द्वारा सिखाए गए अनुशासन का पालन करना चाहिए। गुरु का पद तो सम्मान का पात्र है, लेकिन असली महत्व शिष्य के जीवन में अनुशासन का है, जो उसे गुरु से प्राप्त होता है। आज की दुनिया गुरु के आसन और सिहासन लेने में लगी है। गरु जी अनुशासन लेने में नहीं, आसन से प्रीति नहीं अनुशासन से प्रीति होना चाहिए।

नियत, नीति और नियम अच्छे होना चाहिए

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि परिवार में समाज और देश में नियत, नीति और नियम अच्छे होना चाहिए। जब हम अच्छे मन से कोई काम करते है तो हमारे सभी काम पूरे हो जाते हैं, लेकिन जब हम जीवन में कई बार काम को ठीक ढंग से करने का प्रयास करते हैं और वह पूरा नहीं हो पाता है तो हम इसके लिए ईश्वर को जवाबदार मानते हैं। जबकि जीवन में जब भी कोई काम करें और उसमें अगर हमारी नियत सही होगी तो हमें सफलता जरूर मिलेगी। क्योंकि जीवन में सही नीति और सही नियत से ही हमें सफलता मिलती है। परिवार में नियम भी ठीक होना चाहिए।

पति को पत्नी के लिए गुरु के रूप में दर्शाया गया

उन्होंने कहा कि पति को पत्नी के लिए गुरु के रूप में दर्शाया गया है। यह माना जाता है कि पति, पत्नी को जीवन के सही मार्ग पर ले जाता है और उसे सही ज्ञान प्रदान करता है। पति को गुरु मानने से पति-पत्नी के बीच सम्मान, प्रेम और विश्वास का रिश्ता मजबूत होता है। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पति को गुरु मानने से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है। यह दर्शाता है कि पत्नी अपने पति का सम्मान करती है और उसे अपने जीवन में महत्व देती है। वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी के बीच भरोसा नहीं होगा तो ये रिश्ता ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगा। स्त्री और पुरुष दोनों ही समान हैं। इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए पति-पत्नी की समान जिम्मेदारी होती है। पुरुष होने का अर्थ ये नहीं है कि वह कैसा भी आचरण कर सकता है और स्त्री होने का अर्थ ये नहीं है कि हर बार वह खुद को ही दोष मानती रहे। शिवपुराण में बिंदुक और चंचुला का कथा है। ये दोनों पति-पत्नी थे और शिव-पार्वती के परम भक्त थे। शुरू-शुरू में तो इन दोनों का आचरण भी बहुत अच्छा था, लेकिन कुछ समय बाद बिंदुक का आचरण गिरने लगा। कुछ समय बाद बिंदुक की मृत्यु हो गई। माना जाता है कि उसकी आत्मा पिशाच योनि में चली गई थी।

कुबेरेश्वरधाम पर चल रहे गुरु पूर्णिमा महोत्सव का समापन 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर होगा। पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में जारी श्री शिव महापुराण कथा में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सोमवार को तीसरे दिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया।

(Udaipur Kiran) तोमर

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