
नई दिल्ली, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । ब्राजील में रविवार को हुए ब्रिक्स प्लस सम्मेलन में अपनाए गए ‘रियो डिक्लेरेशन’ में विकासशील देशों के बीच सहयोग बढ़ाने, वैश्विक संस्थानों में सुधार, और समावेशी तथा सतत विकास को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। साथ ही आतंकवाद पर कड़ा रूख अपनाया गया है।
सम्मेलन के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से साझा घोषणा ‘रियो डी जनेरियो डिक्लेरेशन – स्ट्रेंग्थनिंग ग्लोबल साउथ कोऑपरेशन फॉर अ मोर इंक्लूसिव एंड सस्टेनेबल गवर्नेंस’ जारी की गई। इसमें विकासशील देशों के बीच सहयोग और एकजुटता को प्रोत्साहित किया गया है।
घोषणा में संयुक्त राष्ट्र, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थानों में समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुसार व्यापक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है। घोषणा में 2030 सतत विकास एजेंडा के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया गया है तथा समावेशी वृद्धि, गरीबी उन्मूलन और असमानताओं के समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा लेकिन भिन्न जिम्मेदारियों के सिद्धांत की पुष्टि की गई है। इसमें जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विकासशील देशों के लिए क्षमता निर्माण की मांग की गई है। साथ ही स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग का आह्वान किया गया है।
घोषणा में व्यापार और वित्तीय क्षेत्र में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है। साथ ही, अन्य विकासशील क्षेत्रों—अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियाई और आसियान देशों के साथ साझेदारी को सुदृढ़ करने की बात कही गई है।
रियो डिक्लेरेशन में आतंकवाद को “क्रिमिनल और अनजस्टिफ़ाएबल” घोषित किया गया है और इसके सभी रूपों की कड़ी निंदा की गई है। विशेष रूप से पहलगाम हमले की तीव्र निंदा की गई है।
समूह ने कहा है कि आतंकवाद के सभी स्वरूप—चरमपंथी हिंसा, सीमा पार आतंकवाद, वित्त पोषण और आश्रय—का मुकाबला करने के लिए “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाने और डबल स्टैंडर्ड को त्यागने की आवश्यकता है। इसमें यूएन में इंटरनेशनल टेररिज्म कन्वेंशन को शीघ्र लागू करने का आह्वान किया गया है।
रियो डिक्लेरेशन में खाद्य सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और तकनीकी समानता पर विशेष बल दिया गया है। घोषणा में कहा गया है कि विकासशील देशों को सस्ती, सुरक्षित और टिकाऊ खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके लिए लचीलापन, स्थानीय कृषि उत्पादन और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही, डिजिटल तकनीक और इंटरनेट तक समान पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है। एआई के क्षेत्र में नैतिक उपयोग, पारदर्शिता और गैर-भेदभावपूर्ण विकास के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिससे डिजिटल विषमता न बढ़े।
रियो डिक्लेरेशन में संघर्षों के समाधान के लिए शांतिपूर्ण उपायों और संवाद की प्राथमिकता पर जोर दिया गया है। इसमें संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के पालन की बात कही गई है। घोषणा में बलपूर्वक कहा गया है कि किसी भी विवाद का हल सैन्य माध्यम से नहीं होना चाहिए। साथ ही बहुपक्षवाद को वैश्विक सहयोग का आधार बताया गया है। इसमें एक नियम-आधारित, पारदर्शी और समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा
