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पहले से ही देरी से चल रहे जेडीए प्रोजेक्ट का बारिश से बिगाडा गणित

जेडीए

जयपुर, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । जेडीए पर शहर के विकास का जिम्मा है लेकिन जेडीए विकास से जुडा एक भी बडा प्रोजेक्ट समय से पूरा नहीं कर पा रहा है। इससे ना सिर्फ इन प्रोजेक्ट्स की लागत बढ रही है, बल्कि जनता भी परेशान हो रही है। रही-सही कसर समय से पहले आई बारिश ने पूरी कर दी है, जिसके चलते ये प्रेाजेक्ट्स और लम्बे खिंच सकते हैं। वर्तमान में जेडीए द्वारा आईपीडी टावर, जगतपुरा ड्रेनेज सिस्टम, सिविल लाइंस आरओबी और महारानी फार्म पर द्रव्यवती नदी की पुलिया का काम किया जा रहा है। ये सभी प्रोजेक्ट अपने तय समय से कई महिने या साल देरी से चल रहे है।

वर्तमान में बारिश का दौर चल रहा है और इसकी वजह से इनका काम धीमा या बंद हो गया है। सिविल लाइंस आरओबी सिविल लाइंस फाटक पर लगने वाले जाम की समस्या को दूर करने के लिए जेडीए यहां पर आरओबी बना रहा है। यह सबसे वीवीआईपी इलाका है। यहां पर राज्यपाल से लेकर सीएम तक गुजरते है। सिविल लाइंस आरओबी बनाने का काम 10 अप्रेल 2021 शुरू हुआ था और यह काम 9 अक्टूबर 2022 को पूरा होना था। यह आरओबी करीब 700 मीटर लंबा बनना है। शुरूआत में इसका काम एमडी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को 36 करोड़ में दिया गया था। कंपनी ने करीब 5 से 7 करोड़ रुपए का मौके पर काम भी कर दिया, लेकिन बाद में काम से हाथ खींच लिए। इसके बाद जेडीए ने आरओबी का काम 40 करोड़ रुपए में शिवम कन्डेव को दिया है। कंपनी को अगस्त 2024 में आरओबी का काम पूरा करने का टारगेट दिया गया है। लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है। इस दौरान जेडीए ने दो बार काम की डेडलाइन बदली। जेडीए ने काम में देरी करने पर कम्पनी पर करीब एक करोड़ रुपए की पेनल्टी भी लगाई है। अब आरओबी के काम को इस साल के अंत में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। वर्तमान में आरओबी का काम करीब 70 फीसदी पूरा हो चुका है। रेलवे लाइन पर गार्डर रखने सहित अन्य काम बाकी है।

जेडीए की एक्सईएन अनुपमा शर्मा के अनुसार बारिश के चलते आरओबी का काम धीमी गति से चल रहा है। कोशिश रहेगी वर्तमान में तय की गई डेडलाइन पर आरओबी का काम पूरा हो जाए।

सिविल लाइंस आरओबी, जेडीए महारानी फार्म पुलिया, महारानी फार्म पुलिया टोंक रोड को मानसरोवर, न्यू सांगानेर रोड और पृथ्वीराज नगर से जोड़ती है। इस पुलिया को ऊंचा करने का काम जेडीए की ओर से किया जा रहा है। इस पुलिया को ऊंचा करने का काम 6 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। इसका काम जनवरी में शुरू किया गया था और 6 माह में काम को पूरा करना था, लेकिन अभी तक भी इसका काम पूरा नहीं हो पाया है। काम के चलते यातायात को पूर्व में 6 माह के लिए डायवर्ट करने का फैसला लिया गया था। फिलहाल महारानी फार्म पुलिया का काम करीब अस्सी फीसदी ही पूरा हुआ है। ऐसे में इसके काम में अभी भी दो माह से अधिक का समय लग सकता है। महारानी फार्म पुलिया को 210 मीटर की लंबी बना रहा है। इसकी ऊंचाई 4.5 मीटर होगी। यह पुलिया 20 मीटर चौड़ी होगी। बारिश के मौसम में नदी में पानी का बहाव बढऩे पर यातायात के लिए समस्या पैदा करती है। इसलिए पुलिया को ऊंचा और चौड़ा करने का काम चल रहा है। पहले यह तीन मीटर ऊंची थी।

आईपीडी टावर प्रदेश में चिकित्सा सुविधा को और बेहतर करने के लिए एसएमएस अस्पताल परिसर में आईपीडी टावर का निर्माण किया जा रहा है। आईपीडी टावर का निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है। इसके चलते आईपीडी टावर का काम दो साल देरी से पूरा होने की संभावना है। वर्तमान में 19वे फ्लोर तक का काम हो चुका है उसकी फिनिशिंग सहित अन्य काम किए जा रहे है। आईपीडी टावर का काम पूरा करने के लिए नवम्बर 2024 की डेडलाइन तय की गई थी, लेकिन अभी तक सत्तर फीसदी काम ही हो पाया है। इसके काम को लेकर मार्च 2026 की नई डेडलाइन तय की गई है। आईपीडी टावर का काम फंड की कमी के चलते करीब 6 माह तक बंद रहा था। जेडीए को चिकित्सा विभाग से राशि नहीं मिली थी। आईपीडी टावर का काम मैसर्स राम सिविल कंस्ट्रशन द्वारा किया जा रहा है। 24 मंजिला आईपीडी टावर में 1200 बेड्स की कैपेसिटी होगी। यह टॉवर के बनने के बाद एसएमएस हॉस्पिटल में मरीजों के लिए 4 हजार से ज्यादा बेड उपलब्ध रहेंगे। वर्तमान में एसएमएस हॉस्पिटल की मैन बिल्डिंग और सुपर स्पेशलिटी सेंटर की बिल्डिंग में करीब 2850 बेड की कैपेसिटी है। 116 मीटर ऊंचाई तक बनने वाले इस आईपीडी ब्लॉक के टॉप फ्लोर पर एक हेलिपेड बनाया जाएगा, जहां से मरीजों को एयरलिफ्ट की सुविधा मिल सकेगी। आईपीडी टावर का काम दो फेज में पूरा किया जाना है। यह देश का पहला सरकारी हॉस्पिटल होगा, जिसकी इतनी ऊंची बिल्डिंग होगी। इस ब्लॉक में 1200 बेड (792 जनरल, 150 कॉटेज, 166 आईसीयू और 92 प्रीमियम रूम) होंगे। इसके अलावा डबल बेसमेंट पार्किंग, मरीजों-परिजनों के लिए दो बड़े वेटिंग हॉल, मेडिकल साइंस गैलेरी, 20 ऑपरेशन थिएटर, फूडकोर्ट के अलावा रेडियो और माइक्रोबायोलॉजी जांच संबंधित एडवांस लैब होगी। इस बिल्डिंग में ओपीडी रूम, सिटी स्कैन-एमआरआई लैब, कार्डियक डायग्नोसिस, हिमेटोलोजी, रजिस्ट्रेशन काउंटर, 4 कैथ लैब, 3 ऑपरेशन थिएटर समेत अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

जगतपुरा ड्रेनेज लाइन जेडीए प्रशासन की ढुलमुल नीति के चलते जगतपुरा और उसके आस-पास के इलाके में रहने वाले लोगों को बारिश के दौरान जलभराव की समस्या से मुक्ति नहीं मिल पाई है। जेडीए ने इस इलाके में 45 करोड़ रुपए की लागत से 17 किमी लम्बी ड्रेनेज का काम शुरू तो कर दिया है, लेकिन काम रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। ड्रेनेज बनाने का काम 15 जून 2023 में शुरू किया गया था और इस काम को जून 2024 में पूरा करना था। काम पूरा नहीं होने पर नई डेडलाइन जून 2025 तय की गई, लेकिन इस डेडलाइन में भी काम पूरा नहीं हो पाया है। इस काम के दौरान जोन-9 में तीन से चार बार एक्सईएन को बदला जा चुका है। वर्तमान स्थिति को देखे तो प्रथम पार्ट में 60 और द्वितीय पार्ट में 30 फीसदी काम ही पूरा हुआ है। ऐसे में अभी भी इस काम में 6 माह से अधिक का समय लग सकता है। इस काम को मैसर्स शिवम कंडेव द्वारा किया जा रहा है। जेडीए द्वारा काम में देरी और लापरवाही बरतने पर अब तक करीब 80 लाख रुपए की पेनल्टी कम्पनी पर लगाई जा चुकी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ड्रेनेज सिस्टम डवलप होने पर जगतपुरा, रामनगरिया, एसकेआईटी, सेंट्रल स्पाइन, ज्ञान विहार, वीआईटी सहित उसके आस-पास के इलाकों को बारिश के दौरान जलभराव की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। जगतपुरा आरओबी से हाइटेंशन लाइन तक, 7 नवम्बर चौराहे से हाइटेंशन लाइन तक, एनआरआई चौराहे से हाइटेंशन लाइन तक, अक्षयपात्र चौराहे से हाइटेंशन लाइन तक ड्रेनेज लाइन बनाई जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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