
शिमला, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य के किन्नौर जिला शिपकी-ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ करने की संभावनाएं तलाशने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मार्ग न केवल भौगोलिक दृष्टि से उपयुक्त है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि शिपकी-ला क्षेत्र भारत-तिब्बत के बीच ऐतिहासिक व्यापार मार्ग रहा है और यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही भारत और तिब्बत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का साक्षी रहा है। यह मार्ग न केवल तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए, बल्कि कैलाश और मानसरोवर की धार्मिक यात्राओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक गलियारे के रूप में कार्य करता है। यह भी रेखांकित किया कि हिमाचल प्रदेश का किन्नौर जिला अर्ध-शुष्क क्षेत्र है और स्पीति जैसे वर्षा छाया क्षेत्रों से सटा हुआ है, जिससे यह मार्ग मानसून के दौरान भी अपेक्षाकृत खुला और सुगम रहता है। इसके चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यह एक स्थायी और विश्वसनीय विकल्प बन सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिपकी-ला दर्रे से तिब्बत के गरतोक होते हुए दारचेन और मानसरोवर तक की दूरी कम है और यह मार्ग बेहतर स्थायित्व व स्पष्टता के कारण एक स्थायी गलियारा बनने की क्षमता रखता है। यह न केवल तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा बल्कि भारत-तिब्बत के बीच सीमापार संपर्क को भी मजबूती देगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि हिमाचल में रामपुर और पूह के माध्यम से शिपकी-ला तक पहले से ही सड़क नेटवर्क उपलब्ध है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि इस मार्ग को आधार शिविरों और सहायक बुनियादी ढांचे के साथ विकसित किया जाए, तो इसे कैलाश मानसरोवर यात्रा ढांचे में निर्बाध रूप से शामिल किया जा सकता है। यह पहल न केवल हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जैसे जनजातीय क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक होगी, बल्कि यह केंद्र सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम के तहत सीमांत क्षेत्रों में विकास और पर्यटन को प्रोत्साहन देने की नीति के अनुरूप भी है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि केंद्र सरकार इस मार्ग को मंजूरी देती है, तो हिमाचल सरकार हर संभव प्रशासनिक और लॉजिस्टिक सहयोग प्रदान करने को तत्पर रहेगी।
गौरतलब है कि वर्तमान में कैलाश मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख और सिक्किम के नाथू-ला मार्गों से ही संचालित होती है। यदि शिपकी-ला मार्ग को मंजूरी मिलती है, तो यह हिमाचल प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी और राज्य की धार्मिक पर्यटन संभावनाओं को नया आयाम देगा।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
