
विश्वविद्यालय में खोल रखा था भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा
झांसी, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । नवाबाद थाना क्षेत्र स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर में एक आवास में अवर अभियंता (जेई) का शव संदिग्ध अवस्था में मिलने से सनसनी फैल गई। सूचना पर पहुंची पुलिस व फॉरेंसिंक टीम ने जांच पड़ताल कर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मृतक के परिजनों ने मौत पर सवाल खड़े करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस पूरे प्रकरण में जांच कर रही है।
उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा के छत्ता थाना क्षेत्र निवासी 50 वर्षीय अमरीश गौतम बुंदेलखंड विश्विद्यालय में जेई के पद पर कार्यरत थे। वह विश्वविद्यालय कैंपस में आवास टाइप-2 में रहते थे। उनकी पत्नी पूनम कोटा में अपने बेटे के पास गई थीं। उसे छोड़कर वह वापस झांसी आ गए थे। शनिवार को पत्नी पूनम ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि अक्सर शाम को उनसे बात हो जाती थी। उसने शुक्रवार को कई बार फोन किया, किंतु अमरीश ने कॉल रिसीव नहीं की। उनके दोनों मोबाइल नंबर बंद आ रहे थे। परेशान होकर पूनम ने गणित की शिक्षिका को आवास पर भेजा। जब वह पहुंची, तब दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। थोड़ी देर में नवाबाद पुलिस भी पहुंच गई। पुलिस के दरवाजा तोड़ा तो उनका शव बिस्तर पर पड़ा मिला। पुलिस के मुताबिक शरीर पर बाहरी चोट के कोई निशान नहीं मिले।
पत्नी ने आशंका जाहिर की कि उनके पति ने विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। कई अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है। उनके पति को शिकायतें वापस लेने और शांत बैठने की धमकियां दी जा रही थी। यही नहीं तत्कालीन रजिस्ट्रार ने नियम विरुद्ध जाकर उसके पति को बर्खाश्त किया था। जबकि विजिलेंस जांच की जद में आने वाले कई लोग आज भी नौकरी पर हैं। इन तमाम समस्याओं के चलते वह तनाव में रहते थे। अमरीश ने तीन साल से अपील भी डाल रखी थी उस पर भी सुनवाई नहीं हो रही थी। यह भी बताया जा रहा है कि उनकी मृत्यु करीब तीन से चार घंटे पहले हो चुकी थी। घटना स्थल पर फोरेंसिक टीम बुलाकर जांच पड़ताल कर साक्ष्य एकत्रित किए गए। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगा कि उनकी मृत्यु किन कारणों के चलते हुई है। सूत्रों ने बताया कि एक विभागीय जांच के चलते वह अवसाद में रहते थे। चर्चाएं आम हैं कि एक अन्य अभियंता की भी रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। उसमें भी कोई परिणाम सामने नहीं आया था।
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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया
