नई शिक्षा नीति के अनुरूप चल रही समायोजन प्रक्रिया
लखनऊ, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश सरकार ने निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE, 2009) के तहत प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन को प्रभावी तरीके से लागू किया है। योगी सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी विद्यालय एकल न रहे और हर छात्र को आवश्यक शिक्षकीय सहयोग सुलभ हो। इसके लिए न केवल नियमित शिक्षकों की तैनाती की गई है, बल्कि शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी सहायक कार्यों में सक्रिय किया गया है।
हर विद्यालय में शिक्षक या सहयोगी अनिवार्य
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक विद्यालय में न्यूनतम एक शिक्षक या सहयोगी जरूर उपलब्ध हो। जिन विद्यालयों में शिक्षक संख्या सीमित है, वहां शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को शैक्षणिक व सहायक भूमिकाओं में लगाया गया है।
समायोजन के दो चरण पूरे, अब जिलास्तरीय समिति की बारी
विभाग के अनुसार, समायोजन के दो चरण पूरे=हो चुके हैं। प्रथम चरण ने 16,646 शिक्षकों को अंतरजनपदीय एवं अंत: जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का लाभ मिला है। द्वितीय चरण ने 543 शिक्षकों का आकांक्षात्मक जनपदों में समायोजन हो चुका है। अंत: जनपदीय ऑनलाइन आवेदन से कुल 20,182 शिक्षकों को लाभ मिला है। अब शेष सरप्लस शिक्षकों का समायोजन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा, ताकि छात्र-शिक्षक अनुपात RTE मानकों के अनुरूप सुनिश्चित हो सके।
विद्यालय पेयरिंग और बाल वाटिका की पहल
कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को स्कूल पेयरिंग मॉडल से जोड़ा गया है। डीजी शिक्षा कंचन वर्मा के अनुसार, इन विद्यालयों में बाल वाटिका चलाई जा रही है और यू-डायस कोड यथावत रखा गया है, जिससे पहचान और शैक्षणिक सततता बनी रहे। जहां छात्र संख्या कम है और शिक्षक अतिरिक्त (सरप्लस) हैं, वहां से उन्हें शिक्षक-अभावग्रस्त विद्यालयों में भेजा जा रहा है। इससे शिक्षकीय संसाधनों का न्यायोचित वितरण सुनिश्चित हो रहा है और RTE के मानकों के अनुसार न्यूनतम शिक्षक उपलब्धता भी।
पेयरिंग और शिक्षामित्रों से एकल विद्यालय की स्थिति नहीं
समायोजन प्रक्रिया के दौरान कुछ बिंदुओं को लेकर भ्रम की स्थिति न हो इसके लिए भी विभाग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जैसे, जिन विद्यालयों में 50 से कम छात्र नामांकित हैं और एक शिक्षक का स्थानांतरण हो गया है, ऐसे अधिकांश विद्यालय स्कूल पेयरिंग मॉडल के अंतर्गत आते हैं, जहां शिक्षक यथावत शैक्षिक सहयोग में संलग्न रहते हैं। साथ ही, शिक्षामित्रों को भी शिक्षक गणना में सम्मिलित किया जाता है, जिससे विद्यालय एकल नहीं होता। विभाग के अनुसार, लगभग 95% मामलों में यह स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है।
जूनियर हाई स्कूल में विषय शिक्षक के असंतुलन को मिलेगा तर्कसंगत समाधान
इसी तरह, जूनियर हाई स्कूल (कक्षा 6–8) में विषयगत शिक्षकों की असमानता की स्थिति में भी विभाग ने व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किया है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी विद्यालय में पहले से दो शिक्षक हैं—एक गणित और एक हिंदी विषय के और तीसरे के रूप में पुनः गणित विषय के शिक्षक की तैनाती हो रही है, तो उसे भी अनुमति दी जाएगी। विभाग का कहना है कि एक शिक्षक गणित, दूसरा विज्ञान पढ़ा सकता है। चूंकि विषयवार शिक्षकों का वितरण जनपद स्तर पर असमान है, इसलिए इस अंतर को आगामी समायोजन चक्रों में संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार संतुलित किया जाएगा।
प्रधानाध्यापक की कार्यमुक्ति से पहले सहायक शिक्षक या पेयरिंग अनिवार्य
इसके अतिरिक्त, उन विद्यालयों में जहां छात्रों की संख्या 100 से कम है और प्रधानाध्यापक को सरप्लस घोषित किया गया है, वहां एक अन्य स्थिति उत्पन्न हुई कि प्रधानाध्यापक के हटने के बाद विद्यालय में केवल शिक्षामित्र रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में स्पष्ट किया गया है कि प्रधानाध्यापक को तब तक कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उस विद्यालय में सहायक अध्यापक की तैनाती नहीं हो जाती या विद्यालय को किसी अन्य के साथ पेयर नहीं किया जाता। ऐसे मामलों की संख्या प्रत्येक जिले में औसतन एक ही पाई गई है।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
