
गैर हिंदी भाषी छात्रों की अध्ययन यात्रा पहुंची चिरगांव, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को किया नमन
बुंदेलखंड से जुड़े विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा
झांसी, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार तथा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा संचालित छात्र अध्ययन यात्रा दूसरे दिन राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के पैतृक निवास चिरगांव पहुंची। गैर हिंदी भाषी राज्यों के विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य के सबसे बड़े हस्ताक्षर और पुरौधा दद्दा मैथिलीशरण गुप्त के परिवार से मिलवाया गया। विद्यार्थियों का स्वागत मैथिलीशरण गुप्त के पौत्र वैभव गुप्त द्वारा किया गया।
मैथिलीशरण गुप्त, जिन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित किया गया था, हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि थे। उनका जन्म 3 अगस्त 1886 को झांसी के चिरगांव में हुआ था और उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की, जिनमें भारत-भारती, साकेत, पंचवटी और यशोधरा प्रमुख हैं। दक्षिण भारत से पधारे मेहमानों को दद्दा के उस कक्ष में ले जाया गया जहां बैठकर वह साहित्यकारों और आगंतुकों से मिला करते थे। सभी लोगों ने दद्दा के बगीचे में वह स्थान भी देखा जहां बैठकर उन्होंने कई कालजयी रचनाओं को लिखा था। मेहमानों को मैथिलीशरण गुप्त के पैतृक घर में बने मंदिर के भी दर्शन कराए गए। दद्दा के परिवार के लोगों ने उनसे जुड़े कई किस्से भी विद्यार्थियों को सुनाए। इस आयोजन के माध्यम से राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की साहित्यिक विरासत को भी याद किया गया और उनके योगदान को सम्मानित किया गया।
चिरगांव से लौटने के उपरांत विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को बुंदेलखंड की लोक परंपरा से परिचित कराया गया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मुन्ना तिवारी ने बुंदेली भाषा, बुंदेली साहित्य और बुंदेलखंड के साहित्यकारों के बारे में विस्तार से बताया गया। दक्षिण भारत से शास्त्र आता है और उत्तर भारत से लोक परंपरा आती है। शास्त्र और लोक का समन्वय ही उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ता है। डॉ. सुधा दीक्षित ने बुंदेली खान-पान के बारे में समझाया। डॉ. पुनीत श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड के लोक नृत्य पर प्रकाश डाला। डॉ. प्रेमलता श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड के कवियों के विषय में विद्यार्थियों के साथ चर्चा की। डॉ. आशीष दीक्षित द्वारा बुंदेलखंड के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताया गया।
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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया
