
-इविवि के राजभाषा अनुभाग की ओर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रयागराज, 04 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग की ओर से आयोजित पांच दिवसीय बेसिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शुक्रवार को हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य और उपन्यासकार डॉ. जनार्दन ने कार्यालयी अनुवाद विषय पर व्याख्यान दिया। उन्हाेंने कहा कि एक ज्ञात दस्तावेज को दूसरी भाषा में बदलना अनुवाद है। इस पार की भाषा को उस पार की भाषा तक ले जाना ही अनुवाद है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में अनुवाद एक सांस्कृतिक क्षेत्र है। क्योंकि अनुवाद के माध्यम से एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति से मेल या परिवर्तन होता है। यह मेल और परिवर्तन तीन चार चरणों द्वारा प्रक्रिया से गुजर कर लक्षित होता है। कार्यालय की हिन्दी औपचारिक होती है। इसलिए कार्यालयी हिन्दी के पत्राचार में सभी औपचरिकाताओं का पालन अनिवार्य होता है। डॉ. जनार्दन ने परिपत्र, कार्यालय आदेश, संकल्प आदि से एक-एक उदहारण दिया और प्रतिभागियों से अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद भी कराया।
हिन्दी में काम करना आसान है, शुरू तो कीजिये : अशोक कुमार कनौजिया दूसरे सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक अशोक कुमार कनौजिया ने कार्यालय प्रबंधन और हिन्दी विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि कार्यालय की एक निर्धारित भाषा होती है। बोलने और देखने से भाषा ज्यादा समझ में आती है। उन्होंने कहा कि सभी भाषाएं सीखनी चाहिए परन्तु हिन्दी को साथ में रखकर। हिन्दी में काम करना आसान है। शुरू तो कीजिये, इससे ज्ञान का आदान-प्रदान होगा। भारत के पास खनिज-सम्पदा के साथ ही भाषा की शब्द सम्पदा भी है। इस मामले में हिन्दी अग्रणी है। परीक्षा विभाग का अधिकांश कार्य हिन्दी में हो रहा है। जल्द ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डिग्री द्विभाषी होगी।
इससे पूर्व शुक्रवार के दोनों सत्रों में राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयोजक प्रोफेसर कुमार वीरेंद्र ने सम्बंधित विषय पर अपनी बात रखते हुए विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया और हिन्दी अनुवाद के महत्व को रेखांकित किया। इस अवसर पर हिन्दी अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव एवं हिन्दी अनुवादक हरिओम कुमार तथा अन्य प्रतिभागी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन अजय त्रिपाठी और मीना ने किया।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
