Delhi

लोकतांत्रिक शासन की बुनियाद है कार्यक्षेत्र का सम्मान : विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता

विधानसभा परिसर स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में देशभर के प्रमुख संस्थानों के लॉ इंटर्न को संबोधित अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता

नई दिल्ली, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को विधानसभा परिसर स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में देशभर के प्रमुख संस्थानों से आए लॉ इंटर्न्स को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक संस्था की स्वतंत्र भूमिका और कार्यक्षेत्र का सम्मान बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संतुलन तभी कायम रह सकता है जब कोई भी संस्था दूसरी संस्था के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप न करे, यही लोकतांत्रिक शासन की सुदृढ़ नींव है।

गुप्ता ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की मजबूती इस बात में निहित है कि राज्य की सभी संस्थाएं एक-दूसरे के विशेषाधिकारों का सम्मान करें और संविधान के दायरे में रहकर काम करें। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका इन तीनों स्तंभों की मर्यादा बनाए रखना लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफलता के लिए आवश्यक है।

अपने संबोधन में गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा के गठन का इतिहास भी साझा किया। उन्होंने बताया कि गुप्ता ने बताया कि दिल्ली विधानसभा का गठन 17 मार्च 1952 को “भाग ‘सी’ राज्य शासन अधिनियम, 1951” के तहत हुआ था। इसके बाद 1987 में गठित बालाकृष्णन समिति (सरकारिया समिति) की सिफारिशों के आधार पर दिल्ली में पुनः निर्वाचित विधानसभा की बहाली की दिशा में पहल की गई। इन सिफारिशों के परिणामस्वरूप भारत के संविधान में 1991 में 69वां संशोधन किया गया, जिसके अंतर्गत अनुच्छेद 239एए और 239एबी जोड़े गए और दिल्ली विधानसभा की पुनः स्थापना हुई।

विधानसभा अध्यक्ष ने इंटर्न्स से अपील की कि वे संविधान की मूल भावना को समझें और कानून के क्षेत्र में कार्य करते हुए लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने का प्रयास करें।यह कार्यक्रम विधानसभा के विधान शोध ब्यूरो द्वारा संचालित एक शैक्षणिक पहल का हिस्सा था, जिसके अंतर्गत लॉ इंटर्न्स को दिल्ली विधानसभा के कार्यप्रणाली की जानकारी दी जा रही है। इस मौके पर दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट भी उपस्थित थे।

—————

(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव

Most Popular

To Top