शिमला, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सहित अन्य सेब उत्पादकों को बड़ी राहत देते हुए विदेशी सेब पर न्यूनतम आयात मूल्य को 50 से बढ़ाकर 80 रुपये प्रति किलो कर दिया है। यह फैसला 3 जुलाई से प्रभावी हुआ है और इसके पीछे उद्देश्य देश के सेब बागवानों को उचित मूल्य देना व विदेशी सेब की अंधाधुंध घुसपैठ पर रोक लगाना है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने शुक्रवार को शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय मोदी सरकार की किसान-बागवान हितैषी सोच का परिणाम है। 80 रुपए प्रति किलो के न्यूनतम आयात मूल्य के ऊपर अब 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगेगा। इससे विदेशी सेब का भारत में उतरना 120 से 130 रुपए प्रति किलो के दाम तक पहुंचेगा। इसका सीधा लाभ हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर के सेब उत्पादकों को मिलेगा।
उन्हाेंने याद दिलाया कि 2023 में मोदी सरकार ने पहली बार सेब के लिए 50 रुपये प्रति किलो न्यूनतम आयात मूल्य लागू किया था, जो एक ऐतिहासिक कदम था। अब इसमें 30 रुपये की वृद्धि कर यह साफ कर दिया गया है कि सरकार स्थानीय बागवानी को संरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2018 के बाद से चीन से एक भी किलो सेब का आयात नहीं हुआ है। यह मोदी सरकार की सख्त और दूरदर्शी नीतियों का ही परिणाम है, जिसने आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है।
बरागटा ने कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर की उस चिंता को भी खारिज किया जिसमें उन्होंने सेब पर आयात शुल्क कम होने की आशंका जताई थी। कहा कि कांग्रेस सरकार के ही पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू के तहत ऐसे प्रावधान बने थे, लिहाजा कांग्रेस को पहले अपना होमवर्क करना चाहिए। प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार बागवानों के हित में इतने ठोस निर्णय ले रही है, तब प्रदेश सरकार ने अब तक उनके लिए क्या किया है, इसका जवाब जनता को दिया जाना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
