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रांची की जर्जर सड़कों को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

फाइल फोटो हाई कोर्ट

रांची, 03 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजधानी रांची की मुख्य सड़कों को छोड़कर अन्य जर्जर सड़कों की मरम्मत को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसएम रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ में गुरुवार को सुनवाई हुई।

इस सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता शुभम कटारूका ने अदालत को बताया कि रांची की कई सड़कें मामूली बारिश में भी तालाब बन जाती हैं। सेवा सदन के सामने की सड़क और तपोवन मंदिर के पास की सड़क की हालत बरसात में अत्यंत दयनीय हो जाती है। इस कारण नागरिकों को रोजाना जान-माल की खतरे का सामना करना पड़ता है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मरम्मत का दावा और जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) की रिपोर्ट परस्पर विरोधाभासी हैं। डालसा की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि जिन सड़कों की बात की गई है, वे अत्यंत खराब स्थिति में हैं और उनकी शीघ्र मरम्मत अत्यंत आवश्यक है। अदालत ने कहा कि सड़कें बरसात से पूर्व ही मरम्मत की जानी चाहिए ताकि नागरिकों को कठिनाई न हो। यह याचिका शुभम कटारुका द्वारा दायर की गई थी।

राज्य सरकार ने बताया कि रांची नगर निगम को फंड दे दिया गया है। नगर निगम ने भी स्वीकार किया कि सड़कों की मरम्मत जल्द शुरू की जाएगी। हालांकि अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कार्य टालमटोल न करते हुए बरसात से पहले हो जाना चाहिए। अदालत ने मामले में सरकार से जवाब भी मांगा है। लेकिन

अब बारिश का मौसम यानी मानसून सीजन चल रहा है।

पूर्व की सुनवाई में सरकार ने पहले यह दावा किया था कि सभी सड़कों की मरम्मत हो चुकी है और फोटो भी प्रस्तुत किए थे। प्रार्थी की ओर से कहा गया कि सरकार ने जिन सड़कों की तस्वीर दिखाई, वह याचिका में उल्लिखित सड़कों से अलग हैं। इसके बाद अदालत ने डालसा को मौके पर जाकर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था, जिसके आधार पर याचिकाकर्ता के दावे सही पाए गए।

हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सड़कों की मरम्मत में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने राज्य सरकार को डालसा की रिपोर्ट पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है और सड़क मरम्मत कार्य में तेजी लाने की हिदायत दी।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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