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हाई कोर्ट ने 27 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के एकल पीठ के आदेश पर लगाई रोक

दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली, 03 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 16 साल की रेप पीड़िता के 27 हफ्ते के गर्भ को हटाने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने एम्स की याचिका पर गौर करते हुए पाया कि अगर नाबालिग लड़की के गर्भ को हटाने की अनुमति दी जाती है, तो इससे भविष्य में लड़की के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।

कोर्ट ने कहा कि नाबालिग रेप पीड़िता चाहे, तो अपने बच्चे को किसी को गोद दे सकती है। हाई कोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि वो लड़की का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का मुफ्त में इलाज करें। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो जन्म लेने वाले बच्चे की 10वीं तक की मुफ्त शिक्षा का इंतजाम करें। गुरुवार काे सुनवाई के दौरान एम्स की ओर से पेश अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अगर लड़की के गर्भ को हटाया जाता है, तो इससे भविष्य में उसके प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा।

सुनवाई के दौरान एम्स अस्पताल की डॉक्टर ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचा है कि अगर लड़की के गर्भ को हटाया जाता है तो इसके दुष्परिणाम न केवल लड़की को भुगतने पड़ेंगे, बल्कि जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा। तब कोर्ट ने पूछा कि एमटीपी एक्ट के मुताबिक 24 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की शर्तों के मुताबिक गर्भ हटाया जा सकता है, क्योंकि लड़की के साथ रेप हुआ है।

एम्स के डॉक्टर ने कहा कि अगर 27 हफ्ते बाद गर्भ हटाया जाता है, तो ये भ्रूण हत्या होगी। यहां तक कि लड़की के गर्भाशय पर भी बुरा असर होगा और उसके भविष्य में गर्भधारण में काफी समस्या आ सकती है। एम्स के डॉक्टर ने कहा कि 27 हफ्ते बाद जन्म लेने वाला बच्चा किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त होगा। उसे आंख, कान या दूसरी बीमारियां होंगी। ऐसे में गर्भ में पल रहे बच्चे के भविष्य को देखते हुए गर्भ गिराना उचित नहीं होगा।

सुनवाई के दौरान नाबालिग लड़की के वकील ने कहा कि कानून के मुताबिक रेप जैसे विशेष परिस्थितियों में रेप पीड़िता का गर्भ हटाया जा सकता है। तब कोर्ट ने कहा कि लेकिन लड़की और उसके बच्चे का भविष्य बर्बाद हो सकता है। दो जिंदगियां खतरे में आ जाएंगी। कोर्ट ने रेप पीड़िता के वकील से कहा कि आप अपने मुवक्किल को समझाइए कि उसे और उसके होने वाले बच्चे को हरसंभव सहायता दी जाएगी। उन्हें इलाज मुफ्त दिया जाएगा। उसके बाद जब दोबारा सुनवाई शुरु हुई तो रेप पीड़िता के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि वो कोर्ट की सलाह पर सहमत है। इसके बाद कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि वो लड़की को किसी भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का मुफ्त में इलाज करें। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो जन्म लेने वाले बच्चे की 10वीं तक की मुफ्त शिक्षा का इंतजाम करें।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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