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सैफ अली खान की पुश्तैनी संपत्ति विवाद मामले की सुनवाई फिर से ट्रायल कोर्ट में होगी

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब ट्रायल कोर्ट में होगी सैफ अली खान की पुश्तैनी संपत्ति विवाद की फिर से सुनवाई

जबलपुर, 3 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की पुश्तैनी संपत्ति से जुड़े उत्तराधिकार विवाद में हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा 14 फरवरी, 2000 को दिए गए फैसले को दोषपूर्ण करार देकर रद्द कर दिया है। नवाब हमीदुल्ला खान के वंशज यसीर सुल्तान और फैजा सुल्तान द्वारा दायर याचिका पर पूरे मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट को भेज दिया है। याचिकाकर्ता यसीर और फैजा का दावा है कि नवाब की निजी संपत्ति पर सभी वैध वारिसों का अधिकार है।

याचिकाकर्ता यसीर और फैजा सुल्तान दोनों नासिर मिर्जा की संतान है, जो नवाब हमीदुल्लाह खान की छोटी बेगम के बेटे थे। कोर्ट में तर्क दिया कि भारत सरकार द्वारा नवाब साजिदा सुल्तान को सम्पूर्ण संपत्ति का एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित करना गलत था। यह संपत्ति केवल सिंहासन की नहीं, बल्कि नवाब हमीदुल्ला खान की व्यक्तिगत संपत्ति थी। इस पर सभी वारिसों का उत्तराधिकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार होना चाहिए था। जबकि भारत सरकार ने 10 जनवरी, 1962 को एक अधिसूचना जारी कर नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान को इस संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। साजिदा सुल्तान को भारत सरकार द्वारा अधिकृत रूप से अगला शासक घोषित किया गया था। नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेगम साजिदा सुल्तान के बेटे नवाब मंसूर अली पटौदी थे। इसलिए संपत्ति पर उनका और उनके उत्तराधिकारियों का अधिकार वैध है।

ट्रायल कोर्ट ने 14 फरवरी, 2000 को याचिका खारिज करते हुए एक पुराने फैसले (1997) को आधार बनाया था। लेकिन हाई कोर्ट ने पाया कि तलत फातिमा हसन बनाम नवाब सैयद मुर्तजा अली खान मामले के आदेश को बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 में पलट दिया गया था। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने कानून की अद्यतन स्थिति पर विचार किए बिना ही वाद खारिज कर दिया और इसलिए उस फैसले को बनाए नहीं रखा जा सकता।

प्रतिवादियों, यानी शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा सुल्तान की ओर से कोर्ट में तर्क रखा गया कि भोपाल रियासत के भारत में विलय के समय जो समझौता हुआ था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि नवाब की संपत्तियां अगली शासक को हस्तांतरित होंगी।

दोनों वादों को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट को भेजा गया। वहां यह तय होगा कि नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्तियों पर केवल साजिदा सुल्तान और उनके वंशजों का अधिकार है, या फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अन्य वारिसों का भी दावा बनता है। इस ऐतिहासिक रियासत संपत्ति विवाद में आने वाले दिनों में कानूनी रूप से बड़ा मोड़ आ सकता है। ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह एक वर्ष के भीतर इस मामले का निपटारा करे।

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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